अमूमन यह देखा जाता है कि अभिभावक अपने बच्चों को निजी स्कूलों में पढ़ाना ज्यादा पसंद करते हैं क्यूंकि यह माना जाता है कि सरकारी स्कूल से पढ़ाई कर बच्चा अपने सुनहरे भविष्य की कल्पना नहीं कर सकता| लेकिन आज का यह लेख इस बात को गलत साबित कर सकता है, चूंकि आज के लेख में हम आपको एक ऐसे ही IAS अफसर के बारें में बताने जा रहे हैं जिसने सरकारी स्कूल में पढ़ाई करने के बावजूद भी अपने सपनों को पूरा किया|
आइए जानते हैं अज़हरुद्दीन काज़ी के बारें में
अज़हरुद्दीन काज़ी आज उन सभी विद्यार्थियों के लिए मिसाल बन चुके हैं जो यह सोचते हैं कि सरकारी स्कूल में पढ़कर अपने सपनों को पूरा नहीं किया जा सकता| अज़हरुद्दीन महाराष्ट्र के यवतमाल ज़िले के रहने वाले हैं और बेहद गरीब परिवार से हैं| लेकिन यह गरीबी उनके सपनों को प्रभावित नहीं कर सकी| अज़हरुद्दीन के पिता एक ऑटो चालक थे| साथ ही उनके पिता कमाई का एक मात्र साधन थे| उनकी माँ को भी पढ़ाई में रुचि थीं लेकिन कम उम्र में शादी होने के कारण उनकी पढ़ाई भी छूट गई लेकिन वह अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देना चाहती थी|
सरकारी स्कूल से पूरी की पढ़ाई, माँ ने दिया साथ
अज़हरुद्दीन के घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी, इसी कारण उन्होंने सरकारी स्कूल से अपनी पढ़ाई पूरी की| घर में ट्यूशन जाने के पैसे नहीं थे इसलिए घर में अज़हरुद्दीन और उनके भाइयों को अज़हरुद्दीन की माँ ही पढ़ाती थी| स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद अज़हरुद्दीन ने अपनी स्नातक कॉमर्स से की और फिर नौकरी करने लगे लेकिन इस नौकरी से उनके घर की स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया|
UPSC में दो बार हुए असफल, 7 साल की बैंक में नौकरी
एक दिन अज़हरुद्दीन की मुलाक़ात एक IPS अधिकारी से हुई, वह उनसे बहुत प्रभावित हुए और उन्होंने भी UPSC की परीक्षा देने का मन बनाया| लेकिन उनके पास इस परीक्षा को पास करने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं थे, तब वह जैसे-तैसे दिल्ली आए और मुफ्त कोचिंग के लिए आवेदन किया जिसमें वह पास हो गए| उसके बाद उन्होंने दो बार UPSC परीक्षा दी लेकिन वह असफल रहे| लेकिन अज़हरुद्दीन भाइयों में सबसे बड़े थे और घर की जिम्मदारी भी थी, इसी कारण वह एक सरकारी बैंक में पीओ के पद पर काम करने लगे, और 7 साल तक उन्होंने बैंक में नौकरी की|
बैंक की नौकरी में मिल रही थी सफलता लेकिन पूरा करना चाहते थे खुद का सपना
अज़हरुद्दीन को बैंक की नौकरी में खूब सफलता मिल रही थी, साथ ही उनके घर की आर्थिक स्थिति भी सुधर रही थी, लेकिन अभी भी अज़हरुद्दीन अपने सपने से जुड़े हुए थे और उसे पूरा करना चाहते थे| सात साल बाद अज़हरुद्दीन ने एक बार फिर UPSC की परीक्षा दी और इस बार वह सफल हुए साथ ही UPSC में 315वीं रैंक हासिल की| आज अज़हरुद्दीन लाखों युवाओं को प्रेरित कर रहे हैं| साथ ही एक साक्षात्कार में वह कहते हैं कि “गरीबी, या अन्य समस्याओं से डर कर पीछे हटने की जरूरत नहीं है, यदि आपके इरादे मजबूत हैं तो यह कभी सफलता के रास्ते में बाधा नहीं बन सकते|”