हाल ही में माउंट एवरेस्ट अपनी ऊंचाई बढ़ने को लेकर काफी चर्चाओं में रहा| लेकिन अब एक बार फिर माउंट एवरेस्ट चर्चाओं में आ गया है| इस बार माउंट एवरेस्ट के चर्चाओं में आने का कारण उसकी साफ-सफाई है| अब माउंट एवरेस्ट में जमा होने वाले कचरे को कला में बदलने का प्रयास किया जा रहा है, जिससे पर्यटकों का ध्यान आकर्षित किया जा सके और साथ ही माउंट एवरेस्ट को साफ-सुथरा रखा जा सके|
कचरे को बदला जाएगा कला में
दरअसल माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई करने वाले पर्यटक या पर्वतारोही अपने पीछे पर्वत पर कचरा छोड़ते हुए जाते हैं| पर्वत पर जगह-जगह ऑक्सीजन सिलेंडर, रस्सी, फटे हुए टेंट और खाली बोतल बिखरे रहते हैं| एवरेस्ट की साफ-सफाई के लिए उन्हें जलाया जाता है या फिर उन्हें गड्डे में डाल दिया जाता है, जिसके कारण प्रदूषण फैलता है लेकिन अब इस कचरे को कला में बदला जाएगा और एक आर्ट गैलरी तैयार की जाएगी|
विदेशी और स्थानीय कलाकारों को सिखाई जाएगी यह कला
सगरमाथा नेक्स्ट केंद्र के परियोजना निदेशक और सह-संस्थापक टॉमी गुस्टाफसन बताते हैं कि कचरे को कला में बदलना स्थानीय और विदेशी कलाकारों को सिखाया जाएगा| वह कहते हैं कि हम दिखाना चाहते हैं कि कैसे कचरे को कला में बदला जा सकता है और कला में बदलने के साथ-साथ आय को भी विकसित किया जा सकता है|
वसंत ऋतु में खुलेगा यह कला केंद्र
बता दें कि यह केंद्र 3780 मीटर की ऊंचाई पर मौजूद है| गुस्टाफसन कहते हैं कि यह कला केंद्र वसंत ऋतु में स्थानीय लोगों के लिए खोला जाएगा, लेकिन इस बीच कोरोना महामारी के मद्देनजर कला केंद्र में कुछ ही लोगों को जाने की अनुमति दी जाएगी| वह बताते हैं कि इससे लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक किया जाएगा और स्मृति चिन्ह के बिकने से आने वाली आय का प्रयोग क्षेत्र को संरक्षित करने के लिए किया जाएगा|
पर्यटक और गाइड से भी सफाई के लिए किया जाएगा अनुरोध
इको हिमल समूह के पिंजों शेरपा कहते हैं कि “कैरी मी बैक” मुहिम के तहत पर्यटक और गाइड से भी अनुरोध किया जाएगा कि वह 1 किलो कचरा लुक्ला हवाई अड्डे तक वापस ले जाएं| शेरपा के मुताबिक यदि पर्यटकों को इस मुहिम में शामिल किया जाता है तो कचरे का प्रबंधन अच्छे से किया जा सकता है, चूंकि यहाँ आने वाले पर्यटकों की संख्या कॉफी अधिक है|