New Delhi: हिम्मत,, हौसला व जुनून के रास्ते ही सफलता हासिल की जा सकती है। इसका जीता जागता उदाहरण है चारुल होनरिया। चारूल ने अपनी मेहनत व लगन से साल 2020 में नीट परीक्षा पास कर एम्स जैसे बड़े संस्थान में दाखिला लिया है। वह आगे चलकर एक डॉक्टर बनना चाहती हैं, साथ ही उनका एक सपना है कि वह अपने गांव में खुद का एक क्लीनिक खोले। जहां जरूरतमंद लोगों को इलाज मिल सके। चलिए जानते हैं चारूल के बारे में
नीट परीक्षा पास की
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबित चारुल ने तमाम मुश्किलों के बावजूद हार नहीं मानी। साल 2020 जहां लोग कोरोना को लेकर डरे हुए थे। वहीं चारुल लगातार पढ़ाई कर रही थी। इसका परिणाम नीट परीक्षा के दौरान भी देखने को मिला। जब नीट परीक्षा का रिजल्ट आया तो चारुल को परीक्षा कटेगरी में 10वीं रैंक व इंडिया रैंक उनकी 631वीं रही। बताते चले कि चारुल का यह दूसरा प्रयास था। इसके बाद उन्हें दिल्ली स्थित एम्स में एमबीबीएस की सीट मिली है।
चारुल के पिता किसान, खेती कर होता है गुजारा
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक चारुल का परिवार खेती करके गुजारा करता है। उनके पिता किसान हैं जो खेतों में काम करके सात लोगों का खर्च चला रहे हैं। बताया जाता है कि वह सालाना महज 1 लाख रुपये ही जुटा पाते हैं।
पढ़ाई के लिए पिता ने किया सहयोग
तमाम मुश्किलों के बावजूद चारुल के पिता ने उन्हें कभी भी पढ़ाई करने से नहीं रोका। वह हमेशा बेटी को पढ़ाई करने के लिए कहते थे। आज इसी का परिणा है कि चारुल डॉक्टर बनने दिल्ली के एम्स में पढ़ाई करेंगी।
क्या कहती हैं चारूल
चारूल बताती हैं कि वह आम स्टूडेंट की तरह ही थी। हां सीखना उन्हें पसंद था। वह बताती हैं कि उन्हें स्कूल के दिनों में अपने शिक्षकों से काफी सहयोग मिला। वह कहती हैं कि स्कूल के शिक्षक मुझे हौसला देते थे कि तुम आगे चलकर अच्छा कर सकती हो। बस इसी को मैंने अपने जीवन का मूलमंत्र बना लिया। वह बताती हैं कि गांव में अस्पताल नहीं है। जिसकी वजह से लोगों को बाहर जाना पड़ता है। डॉक्टर बनने के बाद मैं गांव में क्लीनिक खोलूंगी। जिससे लोगों को इलाज मिल सके।