यदि मन में एक बार कुछ ठान लो तो फिर कोई मंजिल दूर नहीं होती। कई बार हालात विपरित होते हुए भी आपको वे काम करने पड़ते हैं, जोकि आपके लिए नहीं होते। मगर कहते हैं कि मजबूरी इंसान को कुछ भी करने के लिए विवश कर देती है। आज हम आपके लिए एक ऐसी ही मां की सच्ची कहानी लाएं हैं, जिसे पढक़र आप भावुक हो सकते हैं।
कुदरत के दिए दर्द को किया स्वीकार
यह कहानी है 33 साल की सावित्री की, जिसने कुदरत द्वारा दिए गए दर्द को स्वीकार किया, मगर हार नहीं मानी। पति की मौत के बाद से जीवन से लड़ रही सावित्री ने ऐसा कर दिखाया, जिसकी कल्पना ही की जा सकती है। अपनी बेटी के लालन-पालन के लिए सावित्री हर रोज 30 फुट ऊंचे पेड़ों पर चढक़र अपने जीवन यापन में लगी है। बेटी बीमार रहती है, जिसके लिए हर रोज दवाई चाहिए, इसके लिए ही सावित्री को काफी पैसों की जरूरत पड़ती है। इस कठिन चुनौती को स्वीकार करते हुए सावित्री ने अपने पति के धंधे को ही चुना और हर रोज वह 30 फुट ऊंचे पेड़ पर चढक़र अपनी रोजी रोटी कमाती है।
पति चले गए और कोख में आई बीमार बेटी
सावित्री तेलगांना के एक छोटे से गांव रिजोडी की रहने वाली है। साल 2016 में उनके पति का निधन हो गया। जिस समय उसके पति की मृत्यु हुई, उस समय उसके पेट में एक बच्चा पल रहा था। कुछ समय बाद सावित्री ने एक बच्ची को जन्म दिया। मगर कुदरत का इंसाफ देखो, जिस बच्ची को उसने जन्म दिया, उसे भी किसी बीमारी ने अपनी आगोश में ले रखा था। इसके लिए उसे दवाई चाहिए होती थी।
सावित्री ने पति के काम को ही चुना
पति की मौत के बाद आर्थिक संकट में फंसी सावित्री ने अपना घर चलाने के लिए उसी काम को चुना, जिसे उनके पति किया करते थे। दक्षिण भारत में ताड़ के पेड़ पर चढक़र ताड़ी निकालने का काम काफी संख्या में लोग करते हैं। पेड़ से निकाली गई इस ताड़ी से एक तरह की वाईन बनाई जाती है। हालांकि सावित्री 10 वीं तक पढ़ी थी और किसी जगह नौकरी भी कर सकती थी। मगर उसने अपने पति की याद में ताड़ी निकालने काम करने का मन बनाया।
जिदद के बाद मिला सावित्री को लाईसेंस
हालांकि महिला होने की वजह से सावित्री को पहले इसके लिए लाईसेंस नहीं दिया जा रहा था। मगर जब उसने जिदद की तो उसे लाईसेंस भी दे दिया गया। सावित्री अब हर रोज ऊंचे-लंबे पेड़ों पर चढक़र ताड़ी निकाल अपने घर का खर्च चला रही है। वह देखते ही देखते 30 फुट लंबे पेड़ों पर चढ़ जाती है। दिन भर में वह करीब 30 पेड़ों पर चढक़र ताड़ी निकाल लाती है। इस काम को करने के लिए सावित्री को हर रोज 10 किलोमीटर पैदल चलकर जाना पड़ता है।
शेजा भी करती है यही काम
सावित्री की तरह से एक और महिला है, जिसका नाम शेजा है। वह केरल की रहने वाली है। वह भी अपना परिवार चलाने के लिए ताड़ी निकालने का काम करती है। घर चलाने के लिए रुपए कमाने के लिए शेजा हर रोज करीब दस पेड़ों से ताड़ी निकालती है। हालांकि पहले वह छोटे पेड़ों पर चढ़ती थी, मगर अब वह 25 फुट पेड़ पर पलक झपकते ही चढ़ जाती है। इस काम से उसे रोज करीब 300 से 400 रुपए मिलते हैं। जिससे वह अपने परिवार को पालती है। इनके हौंसले और जज्बे को सिटीमेल न्यूज सलाम करता है।