New Delhi: टीम इंडिया के टेस्ट टीम के मौजूदा समय में उपकप्तान से कप्तान बने अजिंक्य रहाणे जब क्रिकेटर बनने का सपना बुन रहे थे तो उनकी आर्थिक स्थिति बेहद ही खराब थी। इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि रहाणे को क्रिकेट स्टेडियम छोडऩे के दौरान उनका भारी किट बैग उनकी मां अपने कंधों पर उठाती थी। रिक्शा के पैसे नहीं होने की वजह से रहाणे की मां को लगभग 8 किमी तक पैदल ही चलना पड़ता था। रहाणे ने अपनी मां के इस त्याग को भलीभांति समझा और कड़ी मेहनत की। जिसका परिणाम यह निकला कि आज वह टीम इंडिया को मेजबान ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ लीड कर रहे हैं। रहाणे कोहली की उपस्थिति में उपकप्तान का रोल निभा रहे थे। लेकिन कोहली के भारत लौटने के बाद वह कप्तानी का जिम्मा उठा रहे हैं, और अपनी कप्तानी में उन्होंने भारत को दूसरे टेस्ट मैच में अहम जीत दिलाई है।
रहाणे ने कहा, मां ने कभी हौसला कम नहीं होने दिया
रहाणे बताते हैं कि बचपन के दिनों में मां ने हमेशा मेरा हौसला बढ़ाया है। वह हमेशा खेल के प्रति मुझे जागरूक करती रही। यही वजह है कि मेरा खेल के प्रति जुनून कम नहीं हुआ।
रहाणे के पिता रखते थे बेटे पर नजर
रहाणे के पिता बताते हैं कि वह सुबह उन्हें स्टेशन छोडऩे जाते थे। चूंकि रहाणे छोटे थे वह ट्रेन में सफर कर पाएंगे या नहीं, यहीं देखने के लिए उनके पिता दूसरे बॉगी में सफर करते थे। रहाणे भी कहते हैं कि आज वह सफल क्रिकेटर हैं तो सिर्फ अपने माता-पिता की वजह से।
साल 2011 में रहाणे ने किया इंटरनेशनल क्रिकेट में आगाज
बताते चले कि अजिंक्य रहाणे ने साल 2011 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलना शुरु किया। इसके बाद उन्होंने पीछे मुडक़र नहीं देखा। जब वह टीम इंडिया के लिए खेले थे तो उनकी तुलना राहुल द्राविड से भी हुई थी।
धोनी से होती है तुलना
रहाणे की अगुवाई में भारत ने दूसरे टेस्ट मैच में जीत हासिल की है। इसके बाद से ही रहाणे की तुलना पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी से होने लगी है। लोग कहने लगे हैं कि अब वक्त आ गया है कि रहाणे को टेस्ट टीम का कप्तान बनाया जाए।