अपंगता कभी भी आपकी तरक्की में बाधक नहीं बन सकती। मन में हौंसला और जज्बा हो तो आप किसी भी मंजिल को छू सकते हो। यह साबित कर दिखाया है मेरठ के रहने वाले प्रियांश कुमार ने । जन्म से ही पोलिया के शिकार प्रियांश 40 प्रतिशत तक दिव्यांग हैं। मगर उनकी हिम्मत इतनी मजबूत है कि पूरी तरह से फिट आदमी भी उसके सामने पानी भरता रह जाए। प्रियांश ने अपनी अपगंता को कभी अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया। यही वजह है कि जब उसे पैरा खेलों के बारे में जानकारी मिली तो फिर उसने घर में बैठना उचित नहीं समझा और अपना जीवन इन खेलों को समर्पित कर दिया।
दो साल के प्रशिक्षण के बाद बन गए खिलाड़ी
मात्र दो साल की अथक मेहनत के बाद प्रियांश ने पैरा खेलों की प्रतियोगिता में अपना जलवा दिखाना शुरू कर दिया। प्रदेश स्तर के खेलों के बाद प्रियांश ने नेशनल स्तर पर पर दो प्रतियोगिता खेलकर रजत पदक हासिल किया। इस तरह से प्रियांश ने अपनी विकलांगता को मात देते हुए खुद को एक हीरो की तरह बनकर दिखाया।
खेलों के प्रति दीवानगी, छोड़ दिया घर
प्रियांश का परिवार मेरठ जिले के अंतर्गत आने वाले मवाना के गांव नइवली का रहने वाला है। मगर प्रियांश ने अपने जज्बे को खेलों के प्रति समर्पित करते हुए अपना घर छोडक़र मेरठ शहर को ही अपना ठिकाना बना लिया। शहर में किराए का मकान लेकर प्रियांश दिन रात खेलों की प्रेक्टिस में लगा रहता है। बता दें कि प्रियांश ने बाहरवीं तक ही शिक्षा ग्रहण की है। उसका दाहिना पैर पोलियो की चपेट में आ गया था।
इस तरह मिली प्रेरणा
साल 2017 में प्रियांश को पैरा खेलों के विषय में जानकारी हासिल हुई। वह खेलों की जानकारी के संदर्भ में शहर पहुंचा। वहां उसकी मुलाकात पैरा खेलों के कोच गौरव त्यागी से हुई। कोच त्यागी ने प्रियांश की मजबूत कद काठी को देखते हुए शॉटपुट खेलों में हिस्सा लेने की सलाह दी। प्रशिक्षण शुरू होने के दो साल के भीतर ही प्रियांश ने शॉटपुट में मैडल जीतने शुरू कर दिए। राज्य के साथ साथ नेशनल में भी प्रियांश ने अपने प्रदर्शन से सभी को आकर्षित करके दिखाया। आज प्रियांश दिव्यांगता को मात देते हुए एक हीरो की भांति अपना व अपने परिवार का नाम रोशन कर रहा है।