जालौर: एग्रीकल्चर से स्नातक करने के बाद योगेश के परिवार वाले चाहते थे कि वह कोई अच्छी से नौकरी करके अपना घर बसा लें और बेहतरीन जीवन यापन करें। पंरतु योगेश नौकरी की बजाए खेती करना चाहते थे। इसके लिए उनके परिवार वाले कतई तैयार नहीं थे। योगेश के इस निर्णय को लेकर घर में कहासुनी भी हुई, इसके बावजूद वह अपने फैसले पर अडिग़ रहे और खेती करने का निर्णय अटल रहा। यही वजह है कि उनका यह भरोसा आज उनके लिए स्वर्णिम साबित हो रहा है। योगेश राजस्थान के जालौर जिले के रहने वाले हैं और वह जीरा, धनिया, मैथी, सौंफ और कलौंजी की खेती कर रहे हैं। इस व्यवसाय से योगेश हर साल 50 करोड़ रुपए कमाते हैं।
इस तरह से शुरू की खेती
सफल किसान के तौर पर खुद को साबित करने वाले योगेश जोशी का कहना है कि कामयाबी केवल उसे ही मिलती है, जो इसके पीछे हाथ धोकर पड़ जाता है। उन्होंने भी ऐसा ही किया और आज वह 4 हजार एकड़ जमीन पर खेती कर पचास करोड़ रुपए की कमाई कर रहे हैं। उनके साथ कई हजार किसान भी अपना योगदान दे रहे हैं। योगेश ने स्नातक करने के बाद आर्गेनिक खेती में फार्मिंग का डिप्लोमा किया। इसके बाद उन्होंने खेती का काम शुरू कर दिया। हालांकि पहले उन्हें इसमें नुक्सान भी झेलना पड़ा, परंतु उन्होंने फिर भी अपना हौंसला नहीं खोया और वह लगातार अपनी दिशा में आगे बढ़ते गए। खेती का कोई ठोस अनुभव ना होने के चलते उन्होंने बहुत सोच समझ कर जीरा की खेती करने का निर्णय लिया। उन्हें इतना तो पता था कि जीरे को कभी भी बेचा जा सकता है। 34 साल के योगेश को उनकी उपलब्धि के लिए राष्ट्रीय व प्रदेश स्तर पर कई पुरस्कार भी मिल चुके हैं।
पहले झेला नुक्सान, बाद में हुआ लाभ
योगेश का कहना है कि पहले एक एकड़ में उन्होंने जीरा बोया, मगर इसमें उन्हें नुक्सान उठाना पड़ा। इसके बाद उन्होंने सेंट्रल एरिड जोन रिसर्च संस्थान के वैज्ञानिकों से संपर्क किया। इन वैज्ञानिकों ने गांव में आकर उन्हें और उनके जैसे कई किसानों को प्रशिक्षण दिया। इसके बाद जब उन्होंने जीरे की खेती की तो वह सफल रहे। इसमें उन्होंने लाभ हुआ, जिसके बाद उनके हौंसले बढ़े और वह खेती का दायरा बढ़ाने की दिशा मे आगे चल पड़े। जीरा बेचने के लिए योगेश ने ऑनलाईन माध्यमों को अपनाया और देखते ही देखते कई कंपनियों के साथ उसका करार हुआ।
जापान और अमेरिका को सप्लाई करते हैं जीरा
फिलहाल वह एक जपानी कंपनी के साथ भी कांटे्रक्ट कर चुके हैं, जिनके लिए वह जीरा उगाने का काम करते हैं। इससे भी उन्हें खासा लाभ हो रहा है। जापान के बाद उन्होंने अमेरिका में भी जीरे की आपूर्ति शुरू कर दी है। योगेश ने बताया कि आर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने एक संस्था शुरू की है, जिसमें वह 1000 से भी अधिक किसानों को जोड़ चुके हैं।
पहले किसान नहीं जुड़ते थे और अब
पहले तो किसान उनकी संस्था से जुडऩे के इच्छुक नहीं रहते थे, लेकिन जैसे जैसे उनकी संस्था का दायरा बढ़ता गया, वैसे वैसे उनके साथ किसानों का जुड़ाव भी होता गया। वह अब तक करीब 1000 से ज्यादा किसानों को आर्गेनिक रूप से प्रमाणित कर चुके हैं। इसका लाभ ये होता है कि किसानों को अपनी फसल बेचने में दिक्कत नहीं होती है।
योगेश की पत्नी भी देती है पूरा साथ
योगेश के साथ उनकी पत्नी भी बराबर की भूमिका निभा रही हैं। योगेश की दो कंपनियां अस्तित्व में आ चुकी हैं। जिनमें उनकी पत्नी भी काफी योगदान देती हैं। इसके साथ साथ वह महिलाओं के साथ भी एक कंपनी संचालित कर रही हैं, जिसका मकसद ग्रामीण महिलाओं को रोजगार से जोडऩा है। योगेश का मानना है कि आर्गेनिक खेती में बेहतर भविष्य बनाया जा सकता है। इसके लिए किसी भी व्यक्ति को दो से तीन साल का समय देना जरूरी है। इसके बाद वह सफल तौर पर खेती कर अच्छा मुनाफा कमा सकता है।