कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जोकि अपना जीवन दूसरों की सेवा के प्रति समर्पित करने में फख्र समझते हैं। ये लोग बिना कुछ सोचे समझे अपना पूरा जीवन दूसरों के लिए लगा देते हैं। चाहे इसके लिए उन्हें कितना ही बड़ा त्याग क्यों ना करना पड़े। ऐसे ही एक शख्स की कहानी लेकर आए हैं हम। इनका नाम है दलीप कुमार अग्रवाल, जोकि बरेली के रहने वाले हैं।
गरीबों को भोजन करवाना है इनका धर्म
दलीप कुमार को आज शहर के लोग उस शख्स के तौर पर जानते हैं, जोकि गरीब लोगों को खाना खिलाना अपना धर्म समझते हैं। वह मात्र पांच रुपए में भूखे लोगों को पेट भरने के काम को अपना दायित्व समझते हैं। दलीप कुमार जिला अस्पताल के बाहर हर रोज मात्र पांच रुपए में लोगों का पेट भरते हैं। वह समर्पण एक प्रयास नाम से एक एनजीओ भी चला रहे हैं, जिसके बैनर तले ही वह इस पुण्य के काम से जुड़े हुए हैं।
ऐसे मिली ये प्रेरणा
इंडिया टाईम्स हिन्दी से बातचीत करते हुए दलीप कुमार ने कहा कि उन्हें यह प्रेरणा कहां से और कैसे मिली। उनके अनुसार करीब तीन साल पहले की बात है, जब वह अपने किसी परिचित का हाल चाल जानने के लिए नागरिक अस्पताल गए थे। तब उन्होंने वहां बहुत से लोगों को परेशान और बदहाल अवस्था में देखा। वहां उन्हें ऐसे बहुत से लोग मिले, जिनके पास खाने के लिए पैसे तक नहीं थे। ताकि वो अपना पेट भर सकें।
पहले घर से बनवाकर लाते थे खाना
दलीप कुमार ने बताया कि इसके बाद उन्होंने निर्णय लिया कि वह भूखे लोगों तक भोजन पहुंचाएंगे। इसके फौरन ही वह अपने घर से हर रोज खाना बनवाकर लाने लगे और अस्पताल के बार लोगों को भोजन करवाने लगे। काफी समय तक ऐसे ही चलता रहा, फिर कुछ दोस्त भी उनके साथ इस मुहिम में जुट गए। मगर जब उन्होंने देखा कि ऐसे वह अधिक दिनों तक नहीं चल पाएंगे, तब उन्होंने एक एनजीओ बनाया और फिर मात्र पांच रुपए से वह भूखे व जरूरतमंद लोगों को खाना खिलाने के लिए हर रोज अस्पताल के बाहर आते हंै। इस अभियान के तहत वह प्रतिदिन करीब 150 से 200 लोगों को खाना खिलाते हैं। दलीप कुमार अब तक एक अनुमान के मुताबिक करीब 3 से 4 लाख लोगों को खाना खिला चुके हैं।
इस काम में सहयोग देती है पूरी टीम
दलीप कुमार ने बताया कि इस अभियान की सफलता में उनकी टीम का बहुत बड़ा योगदान है। खाना बनाने के लिए कई हलवाई भी उनके द्वारा रखे गए हैं। रसोई तक सामग्री पहुंचाने का काम उनकी टीम के लोग करते हैं और सामान खरीदने के लिए वह खुद ही यह जिम्मेदारी अपने ऊपर लिए हुए हैं। कोरोना काल में भी दलीप कुमार ने कभी अपने अभियान को रूकने दिया। हालांकि इस काम में उन्हें कई बार घाटा भी उठाना पड़ता है, इसके बावजूद वह कहते हैं कि जब तक भगवान चाहते हैं तब तक यह अभियान ऐसे ही चलता रहेगा।