मोहम्मद नूंह सिद्दकी एक ऐसे शख्स हैं, जिन्होंने ठान ली थी कि वह यूपीएससी पास करके बड़े अफसर बनेंगे। लेकिन उनकी इस कोशिश को इतना समय लग गया, जितने में लोग अपनी मंजिल पर पहुंचने की उम्मीद छोड़ देते हैं। मगर मोहम्मद नूंह ने ये आस नहीं छोड़ी और वह लगातार अपनी मंजिल पर पहुंचने की आस लगाए बैठे रहे। अंत में ऊपर वाले ने उनकी मुराद पूरी की और वह यूपीएससी की परीक्षा पास करने में सफल रहे।
सुनाई अपने संघर्ष की कहानी
जी-हां मोहम्मद नूंह सिद्दकी की यह कहानी लोगों को प्रेरणा देने वाली है। उन्होंने यूपीएससी पास करने के लिए लगातार सात साल तक प्रयास किया। वह बार -बार परीक्षा देते रहे और असफल भी होते रहे, मगर उन्होंने हार नहीं मानी। अंत में उनकी प्रार्थना कबूल हुई और वह इस कठिन परीक्षा को पार करने में कामयाब हो गए। दिल्ली नॉलेज टे्रक को दिए इंटरव्यू में नूंह ने अपनी आपबीती सांझा की। उन्होंने अपने हौंसलों की उड़ान की सभी छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी बातें बताईं।
ठान लिया था पानी है मंजिल
नंूह ने बताया कि उन्होंने ठान लिया था कि उनके लिए केवल एक ही मंजिल है, जिसे पाना उनकी पहली और आखिरी ख्वाहिश होगी। इसके लिए वह बार बार प्रयास करते और असफल होते रहे। यूपीएससी क्लीयर करने के जुनून में उन्होंने सात साल तक ना तो कोई नौकरी की और ना ही कोई पार्ट टाईम जॉब। केवल उनके पास एक ही काम था कि यूपीएससी पास करके बड़ा अफसर बनना है। उन्होंने बताया कि जब भी वह फेल होते तो तुरंत अपना पुराना हॉस्टल और अपनी पुरानी यादें छोड़ देते थे। उनका अनुभव है कि बार-बार फेल होने वाले लोग जो पुराने गु्रप और दोस्तों के साथ रहते हैं, वह यूपीएससी पास करने में कम ही सफल होते हैं । नए लोगों के साथ रहने से हौंसला और जज्बा बना रहता है, जबकि पुरानी यादें दुखी करती हैं।
परिवार से कटऑफ ना करें
नूंह ने उन लोगों को भी यह सलाह दी है, जो बार बार यूपीएससी के लिए प्रयास कर रहे हैं। उनके लिए नूंह ने कहा है कि ऐसा भी कुछ नहीं है कि इस परीक्षा को पास करने के लिए परिवार के लोगों से बिल्कुल अलग हो जाएं। उनसे मिले ना और ना ही किसी दोस्त या रिश्तेदार से बात करें। उनका अनुभव तो यह कहता है कि परिवार और दोस्त से मिलने के बाद इंसान खुद को फ्रैश महसूस करने लगता है। उसमें ऊर्जा का संचार होता है।
कठिन दौर में ईश्वर की प्रार्थना जरूर करें
नूंह ये भी कहते हैं कि ऐसे कठिन दौर में ऊपर वाले की अराधना करना भी खुद में ऊर्जा को भरने के बराबर होता है। उनके ऐसे कई दोस्त हैं, जोकि फेल होने के बाद मंदिर और दरगाह में जाकर बैठ जाया करते थे। घंटों प्रार्थना करने के बाद जब वह बाहर आते थे तो उनमें आत्मविश्वास भरा होता था। इसलिए उनकी सलाह है कि यूपीएससी की तैयारी करने वाले छात्र समय बर्बाद ना करें, मगर खुद को कैद भी ना रखें। लगातार अपनी तैयारी करते रहें और अपने अराध्य पर पूरा भरोसा रखें, एक दिन सफलता जरूर मिलेगी।