लॉकडाऊन की वजह से आर्थिक तंगी में बुरी तरह से घिरे इस युवक ने पैसा कमाने के लिए नयी तरकीब चुनी और आज वह इस बात से संतुष्ट हैं कि वह नौकरी से ज्यादा पैसा इस काम से कमा रहे हैं। यहां बात कर रहे हैं मैकेनिकल इंजीनियर सारंग राजगुरे की। इनकी कहानी सुनने में बड़ी अजीब लगेगी, मगर ये है बिल्कुल सच। राजगुरे ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग पूरी की, जिसके बाद पुणे की एक कंपनी में नौकरी उनकी नौकरी लग गई। अभी वह नौकरी कर ही रहे थे,तभी मार्च में लॉकडाऊन लग गया और उनके हाथ से नौकरी चली गई।
नौकरी जाते ही बेरोजगार हो गए
नौकरी जाते ही बेरोजगार हुए राजगुरे कुछ समय तक तो इंतजार करते रहे। उन्हें उम्मीद थी कि शायद जल्द ही वह दोबारा से कहीं ना कहीं रोजगार से जुड़ जाएंगे। मगर उनकी ये उम्मीद धीमी पड़ती जा रही थी और दूसरे ओर उनके पिता जोकि एक बस में कंडक्टर थे, उनकी तनख्वाह भी आनी बंद हो गई। इस तरह से आर्थिक संकट के चक्र में फंसे राजगुरे अपने परिवार की माली हालत को लेकर चितिंत हो गए। उन्हें कुछ सूझ नहीं रहा था कि आखिर वह अपने परिवार को इस संकट से कैसे निकालें।
फिर आया चाय की दुकान खोलने का ख्याल
एक दिन उन्हें यह ख्याल आया कि क्यों ना चाय की दुकान ही खोल ली जाए। हालांकि उनके इस निर्णय को कई लोगों ने अटपटी नजरों से भी देखा। मगर राजगुरे को अपना ये फैसला सटीक लगा। वैसे भी राजगुरे का कहना है कि वह शुरू से ही फूड बिजनेस को ज्वाइंन करना चाहते थे। मगर मैकेनिकल इंजीनियरिंग करके के बाद वह दूसरी फील्ड में चले गए। पंरतु लॉकडाऊन ने उन्हें ऐसा मौका दिया है, जिससे वह अपना सपना पूरा कर सकें। इसलिए चाय की दुकान खोलने के बाद से राजगुरे खुश हैं और कहते हैं कि उन्हें इस काम से ना केवल खुशी मिल रही है, बल्कि वह अपनी नौकरी से भी अधिक पैसा कमा रहे हैं।
इस तरह से बन गए इंजीनियर चाय वाला
राजगुरे को आज इंजीनियर चाय वाला सुनकर खुशी होती है। उनका कहना है कि वह अब धीरे धीरे अपने परिवार को आर्थिक संकट से निकालने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। जल्द ही वह अपने इस बिजनेस का भी विस्तार करने की दिशा में काम करेंगे। जाहिर सी बात है कि लॉकडाऊन के दौरान हजारों लोगों के सामने ऐसा संकट आया होगा। मगर जिस तरह से सारंग राजगुरे ने लोग क्या कहेंगे कि परवाह छोडक़र चाय का काम शुरू किया, वह उनके हौंसले को ही साबित करता है। राजगुरे ने बिना किसी की परवाह किए अपने परिवार के संकट को देखा और आज वह सफतला की ओर बढ़ रहे हैं। उनका मानना है कि कोई काम छोटा और बड़ा नहीं होता। जिस काम से आपका परिवार चले, वही काम आपके लिए बड़ा होता है।