“शिक्षार्थ आइए, सेवार्थ जाइए” आमतौर पर यह वाक्य शिक्षण संस्थानों के बाहर लिखा हुआ होता है| जिसका अर्थ होता है कि आप संस्थान में शिक्षा ग्रहण करने के उद्देश्य से आइए और देश की सेवा करने के उद्देश्य के साथ जाइए| लेकिन हर कोई इस वाक्य का पालन नहीं कर पता| आज हम आपको एक ऐसे व्यक्ति के बारे में बताने जा रहे हैं जिसने इस वाक्य का बखूबी पालन किया और IIM से पढ़ाई पूरी कर करने लगे समाज सेवा|
मजदूर वर्ग के मसीहा हैं इरफान आलम
इरफान आलम सम्मान फ़ाउंडेशन के संस्थापक हैं, जो मजदूरों के लिए और जरूरतमंदों के लिए कार्य करते हैं| आज इरफान मजदूर वर्ग के लिए बहुत ही सराहनीय कार्य कर रहे हैं| IIM अहमदाबाद से पढ़े हुए इरफान आज मानव श्रम को बढ़ावा देते हुए मजदूर वर्ग को रोजगार उपलब्ध करा रहे हैं, साथ ही इरफान मजदूरों को एक अलग पहचान देने का कार्य भी कर रहे हैं|
2007 में शुरू किया था यह सराहनीय कार्य
बता दें कि इरफान एक व्यवसायी हैं और उन्होंने 2007 में तीन सौ रिक्शें चलवाने की शुरुआत की थी| इन रिक्शों को चलाने के लिए इरफान ने मजदूर वर्ग को चुना और उन्हें रोजगार देना शुरू कर दिया| मजे की बात तो यह है कि रिक्शा में मैगजीन, समाचार पत्र, म्यूजिक और खाने-पीने की भी सुविधा है, जो इन रिक्शों को आम रिक्शों से अलग बनाती है| इरफान का यह नया तरीका सभी को बहुत पसंद आ रहा है|
अब तक 5 लाख रिक्शों को कर चुके हैं रजिस्टर
इरफान मजदूर वर्ग को बड़े पैमाने पर रोजगार उपलब्ध करा रहे हैं, रोजगार के अवसर को बढ़ाने के लिए इरफान अब तक 5 लाख रिक्शों को रजिस्टर करा चुके हैं| आमतौर पर मजदूर काम की तलाश में दिल्ली जैसे बड़े शहरों में आकर रहने लगते हैं परंतु तब भी उनकी ज़िंदगी में कोई बदलाव नहीं आता| इरफान का यह विचार मजदूर वर्ग के लिए किसी संजीवनी से कम नहीं है|
सराहनीय कार्य के लिए मिल चुके हैं कई पुरस्कार
इरफान को उनके कार्यों के लिए “World Bank Innovation Award”, 24th Youth Icon Of India और Business World’s “Most Promising Entrepreneur Award” जैसे कई बड़े-बड़े पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है| साथ ही उनके सराहनीय कार्य के लिए अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति ओबामा भी उनकी तारीफ कर चुके हैं|