अमूमन लोग अपने घरों में बेटा पैदा होने की ख्वाइश रखते हैं क्योंकि उनके अनुसार बेटा ही माता-पिता के बुढ़ापे की लाठी होता है| लेकिन आज के लेख में हम आपको एक ऐसी लड़की के बारे में बताने जा रहे हैं जिसने मुश्किल वक़्त में अपने पिता का सहारा बन कर उन सभी को जवाब दिया जो सोचते हैं कि लड़कियां कुछ नहीं कर सकती|
आइए जानते हैं बनजीत के बारे में
बनजीत कौर जम्मू और कश्मीर के ऊधमपुर की रहने वाली हैं| आज बनजीत सभी लड़कियों के लिए मिसाल बन चुकी है| आमतौर पर माता-पिता का सहारा बेटों को ही माना जाता है लेकिन बनजीत ने इस स्टीरियोटाइप को तोड़ दिया है| जिस समय में बनजीत के पिता का कोई सहारा नहीं था उस समय में बनजीत अपने पिता का सहारा बनी|
पिता की मदद करने के लिए चलाना सीखा ऑटो रिक्शा
दरअसल बनजीत के पिता एक स्कूल बस के ड्राईवर थे| लेकिन कोरोना आने के बाद स्कूल बंद हो गए और उनके पिता की भी नौकरी छूट गई थी| उसके बाद बनजीत के पिता ने ऑटो रिक्शा चलाना शुरू किया लेकिन उससे भी कमाई कम ही होती थी| तभी बनजीत अपने पिता का सहारा बनी और उन्होंने ऑटो रिक्शा चलाना सीखा|
सुबह पढ़ाई और शाम को ऑटो चलाती हैं बनजीत
बता दें कि बनजीत सेकंड वर्ष की छात्रा हैं| बनजीत पढ़ाई के साथ-साथ ऑटो चलाने की पार्ट टाइम जॉब भी करती हैं| वह सुबह पढ़ाई करती हैं और शाम को अपने पिता की मदद करने के लिए ऑटो रिक्शा चलाती हैं| साथ ही बनजीत कहती हैं कि लड़कियों को हर परिस्थितियों के लिए तैयार रहना चाहिए| ऐसा कोई काम नहीं जो लड़कियां नहीं कर सकती हैं|
पिता को है अपनी बेटी पर गर्व
बनजीत के पिता सरदार गोरख सिंह को भी अपनी बेटी बनजीत पर बहुत गर्व है| वह कहते हैं कि लड़कियां हर क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन कर सकती हैं| आज बनजीत की यह हिम्मत अनेकों सोशल मीडिया प्लेटफ़ार्म पर वायरल हो रही है| लोग बनजीत की इस हिम्मत और प्रयास को खूब सराहा रहे हैं|