आज के युवाओं का आमतौर पर यही सपना होता है कि वह पढ़ लिखकर विदेश मे सैटल हो जाएं। इसके लिए वह पूरी तैयारी करते हैं। ताकि विदेश में नौकरी पाकर वह खूब पैसा कमाएं और फिर ठाठ बाट की जिदंगी जिएं। लेकिन इसके ठीक विपरित आज हम आपको एक ऐसे व्यक्ति से रूबरू करवाएं, जिन्होंने दुबई में काम करके काफी पैसा कमाया, मगर अब वह इस ऐशो आराम व धन दौलत को छोडक़र साधू संत की जिदंगी जीना चाहते हैं।
दुबई में करते थे नौकरी
इस शख्स का नाम है हितेश भाई। मध्यप्रदेश के शिवपुरी के रहने वाले हितेश ने दुबई में करोड़ों रुपए की नौकरी को त्याग कर वैरागय का जीवन जीने का संकल्प ग्रहण किया है। दुबई में इंकम टैक्स सलाहकार के तौर पर करोड़ों रुपए का वेतन लेने वाले हितेश भाई बहुत समय पहले ही यह फैसला लेना चाहते थे, पंरतु बड़े भाई की शादी और माता-पिता के लिए नया घर बनवाने की वजह से उनका यह निर्णय कुछ समय के लिए टल गया था। उनके अनुसार वह बहुत पहले ही संत जीवन को अपनाना चाहते थे, मगर अब इसमें वह और अधिक देरी नहीं करना चाहते।
इस तिथि को बन जाएंगे संत
दरअसल हितेश भाई ने अपनी नौकरी को त्याग दिया है और अब वह जैन संत बनने की दिशा में आगे बढ़ चुके हैं। इसके लिए 14 जनवरी को वह दीक्षा ग्रहण करने के बाद कठिन साधना करने के लिए चले जाएंगे। दीक्षा ग्रहण करने के अवसर पर हितेश भाई के पिता भागचंद और माता चंपाबेन अपने बेटे को जैन समाज के प्रमुख संत आदर्श महाराज को दे देंगे।
आचार्य नवरत्न सागर के संपर्क में आए थे हितेश
हितेश ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि जब वह 12 वीं कक्षा में पढ़ रहे थे, तब वह आचार्य नवरत्न सागर के संपर्क में आए थे। इस दौरान आचार्य से बात करने के बाद उनका भी रूझान वैरागय और संत समाज के प्रति हो गया था। वहीं से उन्हें जैन ग्रंथों को पढऩे की शिक्षा मिली और उनका ध्यान आकर्षित होता गया।
14 जनवरी को लेंगे दीक्षा
हितेश भाई के अनुसार वह अपना संपूर्ण जीवन जैन समाज को समर्पित करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। 14 जनवरी को दीक्षा ग्रहण करने के उपरांत एक भव्य समारोह में वह संत के रूप में मान्यता प्राप्त कर लेंगे। बता दें कि हितेश भाई व उनका परिवार मूलरूप से गुजरात के अहमदाबाद के रहने वाले हैं। हितेश भाई ने बीकॉम करने के बाद मुंबई में टैक्स कंसल्टेंट के तौर पर काम किया, जिसके बाद वह दुबई चले गए, वहां उन्हें करोड़ों रुपए के पैकेज की शानदार नौकरी की। पंरतु अब वह वैरागय की ओर मुड़ गए हैं। निर्धारित समय के बाद वह जैन समाज के संत के तौर पर अंलकृत हो जाएंगे।