कहते हैं कि मेहनत एक दिन जरूर रंग लाती है। हालांकि कामयाबी मिलने में कुछ देर जरूर हो सकती है, मगर लगातार किए जाने वाले प्रयास एक दिन रंग जरूर लाते हैं। ऐसे ही एक युवक की कहानी से आपको रूबरू करवाते हैं। इस युवक ने अपनी रात दिन की मेहनत से पढ़ाई की और इस मुकाम पर पहुंचा, जहां अपने बेटे को देखकर उनके मां-बाप का सिर गर्व से ऊंचा हो जाता है।
हरियाणा के हिसार जिले के रहने वाले है अशोक
यह कहानी है हरियाणा के हिसार जिले में रहने वाले अशोक की। अशोक का परिवार हिसार जिले के मुकलन गांव का रहने वाला है। उनके पिता मांगेराम गांव में ही एक आटा चक्की चलाते हैं। मां कलावती आठवीं तक पढ़ी लिखी है और एक कुशल गृहिणी के रूप में अपने परिवार को संभाले हुए हैं। अशोक के तीन भाई बहन हैं, जिनमें वह सबसे बड़े हैं। पिता की मेहनत से पूरे परिवार का भरण पोषण मुश्किल से हो रहा है। यही वजह है कि अशोक ने अपनी प्राथमिक शिक्षा गांव के सरकारी स्कूल से ग्रहण की है। अशोक ने दसवीं गांव के सरकारी स्कूल से की और 11 वीं और 12 वीं के लिए एक प्राईवेट स्कूल में दाखिला लिया। नॉन मेडिकल से पढ़ाई करते हुए अशोक ने मैकेनिकल में बीटेक किया।
इस तरह से अशोक बना वैज्ञानिक
दरअसल अशोक बचपन से ही डा.एपीजे अब्दुल कलाम से काफी हद तक प्रभावित था। इसलिए उन्होंने भी वैज्ञानिक बनने की ठान रखी थी। जैसे ही उनकी पढ़ाई पूरी हुई तो पिछले साल 2020 मार्च में उनकी भामा अटॉमिक रिसर्च सेंटर में नौकरी के लिए परीक्षा दी। 2020 दिसंबर में परीक्षा परिणाम आया तो अशोक ने अपने परिवार व प्रदेश का नाम रोशन करते हुए ऑल इंडिया स्तर पर दूसरा स्थान हासिल किया।
केवल 30 लोगों का हुआ चयन
इस परीक्षा में पूरे देश में मात्र तीस लोगों को ही चुना गया था। जिनमे से अशोक भी एक लक्की प्रतिभागी रहा। इस तरह से अशोक ने न्यूक्लियर वैज्ञानिक बनने का अपना सपना पूरा किया। अपने बेटे की इस उपलब्धि पर पूरा परिवार गर्व महसूस कर रहा है। इस तरह से एक आटा चक्की चलाने वाले मेहनती पिता के बेटे ने अपना व अपने परिवार का सपना पूरा किया है। जल्द ही अशोक को प्रशिक्षण के लिए मुंंबई भेजा जाएगा। अशोक कुमार केवल एक बात ही कहते हैं कि मेहनत और कठिन परिश्रम के बल पर बड़ी से बड़ी मंजिल को पाया जा सकता है।