आपके भीतर बैठा कलाकार कब जाग जाए और कब आपकी किस्मत बदल दे, कोई बता नहीं सकता। मगर यह हकीकत है, उस गरीब और लाचार महिला की, जिसके भीतर छुपे कलाकार ने उसे देश के सर्वोच्च सम्मान का हकदार बना दिया। जी-हां बिहार की दुलारी देवी के साथ उनके अंदर बैठे कलाकार ने कुछ ऐसा ही किया। इस कलाकार ने दुलारी देवी को रातों रात इतनी ख्याति प्रदान कर दी, जिसके बाद उन्हें सरकार ने पदमश्री का हकदार मान लिया। इससे पहले भी वह राज्य स्तर के कई
पुरस्कार हासिल कर चुकी हैं।
मल्लाह परिवार से है दुलारी देवी
पदमश्री विजेता दुलारी देवी बिहार के मधुबनी राजनगर इलाके की रहने वाली हैं। वह एक बेहद ही गरीब और पिछड़े मल्लाह परिवार से संबंधित रखती हैं। उनके भीतर बचपन से ही एक ऐसा कलाकार छुपा था, जिसे पेंटिग करने का शौक था। गरीबी से लड़ते हुए दुलारी ने कभी नहीं सोचा था कि उनके अंदर का कलाकार कभी उन्हें इतना सम्मान भी दिलवायेगा। वह तो बस अपनी फूटी किस्मत के साथ जीवन जी रही थी।
महज 12 साल की उम्र में हो गई थी शादी
दुलारी जब 12 साल की थी, तब उसका विवाह हो गया था। मगर 7 साल बाद ही उनकी शादी टूट गई । इस दौरान उनकी एक बेटी हुई,जो पैदा होने के 6 महीने बाद ही भगवान को प्यारी हो गई। दुलारी निराश और दुखी होकर वापिस अपने मायके आ गई। वहां जाकर वह अपना गुजारा चलाने के लिए पोंछा झाडू का काम करने लगी। इस दौरान वह मशहूर पेंटर और कमाल की आर्टिस्ट कर्पूरी देवी के घर पर पोछे झाडू का काम करने लगी।
बस बदल गई किस्मत
लेकिन दुलारी को क्या पता था कि जिस जगह वह काम कर रही है, वहां से उसकी किस्मत नया मोड़ लेने जा रही है। घर का काम करने के साथ साथ दुलारी अपने खाली वक्त में घर और वहां के अन्य स्थान को मिटटी और रंगों से सजाने लगी। वह लकड़ी के ब्रश को अपनी मधुबनी पेंटिग के लिए इस्तेमाल करती थी।
अब्दुल कलाम और नीतिश भी हैं मुरीद
दुलारी की पेटिंग देखने के बाद कर्पूरी देवी ने उन्हें प्रोत्साहित किया। जिसके बाद धीरे धीरे दुलारी देवी को भी मधुबनी पेंटिंग बनाने के लिए पहचान मिलनी शुरू हुई। इस प्रोत्साहन के बाद दुलारी करीब सात हजार मिथिला पेंटिंग को अपने हाथ से सजा चुकी हैं। पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम ने जब उनका हुनर देखा तो वह मंत्रमुगध होकर रह गए। उन्होंने दुलारी देवी की खूब तारीफ भी की। मौजूदा मुख्यमंत्री नीतिश कुमार भी दुलारी देवी की इस कला के मुरीद हैं।
बिहार संग्रहालय में किया था दुलारी को आमंत्रित
यही वजह है बिहार संग्रहालय के उद्घाटन के अवसर पर दुलारी देवी को विशेष तौर पर बुलाया गया था। वहां कमला नदी पर उनकी एक शानदार पेंटिंग आज भी चमक रही है। दुलारी का नाम आज कला के क्षेत्र में बेहद ही आदर के साथ लिया जाता है। उनकी कला की खूश्बू इस कदर फैली की सरकार ने उन्हें पदमश्री पुरस्कार के लिए नामित कर दिया। यह है दुलारी देवी के संघर्ष के साथ शुरू हुई कहानी, जोकि देश के सबसे बड़े चौथे पुरस्कार पदमश्री तक पहुंच गई।