हमारे जीवन में शिक्षा का महत्व हर कोई जानता है। बिना शिक्षा के मनृष्य का जीवन पशु समान माना जाता है। कबीरदास जी ने भी शिक्षा और शिक्षक के महत्व पर प्रकाश डालते हुए अपनी एक कविता का सृजन किया था। इसलिए गुरू के महत्व को किसी भी सूरत में नकारा नहीं जा सकता। आज की स्टोरी में हम आपको एक ऐसे गुरू जी से मिलाने जा रहे हैं, जिन्होंने ना केवल जर्जर अवस्था में पड़े हुए सरकारी स्कूल की दशा बदल दी, बल्कि बच्चों को शिक्षा के ज्ञान से जोडक़र उनका दिल जीत लिया।
आशीष कंडवाल है इस शिक्षक का नाम
इस शिक्षक महोदय का नाम है आशीष गंडवाल, जोकि पिछले कई सालों से उत्तरकाशी के भंकौली में कार्यरत थे। उन्होंने जब इस स्कूल में कार्यभार संभाला था, तब वहां की दशा सरकारी ढर्रे के अनुरूप ही थी। लेकिन अपने तीन साल के कार्यकाल में आशीष गंडवाल ने ना केवल स्कूल की दीवारों पर पेटिंग कर उन्हीं जीवित कर दिया, बल्कि वहां पढऩे वाले बच्चों को अपने अनोखे अंदाज से अपना दीवाना बना लिया।
आशीष का तबादला हुआ तो रोने लगे बच्चे
आशीष के प्यार और दुलान से यह स्कूल तीन साल के अंदर प्राईवेट स्कूलों से भी बेहतर दिखाई देने लगा। स्कूल की दीवारों पर की गई शानदार चित्रकारी ने ऐसा शमां बना दिया कि जो भी वहां आता बिना मोहित हुए नहीं रह पाता था। इस शानदार चित्रकारी को देखकर लगता था कि स्कूल की दीवारें बोल रही हैं। आश्ीष गंडवाल ने अपनी कला से भकौली के इस स्कूल की दशा को मनोहारी दृश्य में बदल दिया। अपने अनोखे प्रयोग से सुंदर चित्रों के माध्यम से स्कूल को तो बेहतरीन बनाया ही साथ ही बच्चों को भी पहाड़ी संस्कृति से जोडऩे का प्रयास किया। यही वजह है कि जब आशीष का इस स्कूल से तबादला हुआ तो बच्चे रोने लगे और उनसे वहां से ना जाने की प्रार्थना करने लगे।
अब टिहरी के गढख़ेत में पहुंचे आशीष
आशीष गंडवाल का भकौली के सरकारी स्कूल से टिहरी के गढख़ेत स्थित राजकीय इंटर कॉलेज में तबादला हुआ है। अपनी आदत के अनुसार अब वह इस नए स्कूल की दशा सुधारने की दिशा में जुट गए हैं। उन्होंने इस स्कूल में किए जाने वाले कार्यों को स्माईलिंग स्कूल प्रोजेक्ट का नाम दिया है। उनका उद्देश्य इस बदहाल हो चुके स्कूल की छवि को ना केवल सुधारना है, बल्कि वहां पढऩे वाले बच्चों को शिक्षा के महत्व से भी जोडऩा है।
पहाड़ी संस्कृति की झलक दिखाते हंै आशीष
गढख़ेत के इस स्कूल का कार्यभार संभालते ही आशीष ने वहां की दीवारों को सुंदर व मनमोहक चित्रकारी से सजाने का अभियान शुरू कर दिया है। स्कूल की दीवारों पर बाबा केदारनाथ की आकर्षक तस्वीर बनाकर उन्होंने पहाड़ों की खूबसूरती व धार्मिक मान्यताओं को सजोने का संदेश दिया है। इसके अलावा भी उन्होंने स्कूल की दीवारों को झील, चिपको आंदोलन, हरकी पैडी, टिहरी झील, अल्मोडा के बाजार तथा गैरसंैण की चित्रकारी से सजा दिया है। अपने इसी अभियान के चलते आशीष कंडवाल उत्तराखंड के चर्चित शिक्षकों की कतार में शामिल हो गए हैं। लोग उनके कार्य की जमकर प्रशंसा भी कर रहे हैं और उनकी तारीफ करने से भी नहीं थकते।