कहते हैं कि मुसीबत जो ना करवाएं वह कम है। परेशानी में घिरे इंसान का मुसीबतें पीछा नहीं छोड़ती, फिर भी जीवन है तो जीना ही पड़ता है। ऐसी ही कुछ कहानी है 62 साल की शाीला बुआ की। शीला बुआ इस उम्र में भी साईकिल पर घर-घर जाकर दूध बेचकर अपने परिवार को चला रही है। गांव खेड़ा निवासी रामप्रकाश की सबसे बड़ी बेटी शीला की शादी चालीस साल पहले आवागढ़ में हुई थी। मगर शादी को एक साल भी नहीं हुआ था कि उनके पति की मृत्यु हो गई। इसके बाद शीला वापिस अपने मायके आ गई। दोबारा से शादी करने की तैयारी हुई तो भाई कैलाश का बीमारी की वजह से निधन हो गया। इसके बाद शीला ने खुद को भगवान भरोसे ही छोड़ दिया और फिर से शादी करने का ख्याल अपने दिल से निकाल दिया।
पिता के साथ करने लगी खेतीबाड़ी
इस हादसे के बाद शीला अपने मायके मे रहकर पिता के साथ खेतीबाड़ी करने लगी। चार बहन और भाई विनोद की शादी करवा दी। इसके बाद साल 1996 में पिता की भी मौत हो गई और कुछ दिनों बाद मां भी छोडक़र चली गई। इस तरह से शीला ने अपने पूरे परिवार की जिम्मेदारी अपने कंधों पर ले ली। इस बीच शीला ने दूध का काम शुरू कर दिया और एक भैंस खरीद ली। भैंस रखते ही वह घर घर जाकर साईकिल से दूध बेचने लगी। आज पूरे इलाके में शीला बुआ के नाम से ही जानी जाती हैं। दूध का काम उनका बढ़ता गया और उन्होंने पांच भैसें पाल ली। शीला बुआ सुबह चार बजे उठकर दूध बेचने की शुरूआत कर देती हैं।
जिम्मेदारी रूकने व थकने नहीं देती
62 वर्ष की हो चुकी शीला बुआ का कहना है कि उनके ऊपर इतनी जिम्मेदारियां है कि वह चाहकर भी बीमार नहीं हो सकती। वह बताती हैं कि उनके भाई विनोद की 6 बेटियां हैं, इनमें से बड़ी बेटी सोनम विधवा है, जोकि उनके पास ही रहती है। सोनम की भी आगे 6 बेटियां हैं। इस तरह से उनके ऊपर जिम्मेदारी का इतना बड़ा बोझ है कि वह उन्हें रूकने और थकने नहीं देती।