New Delhi: बेटियों के जन्म पर मायूस होने वाले अभिवावकों की कमी नहीं है। हमारे समाज में संकुचित मानसिकता के लोग भी हैं जो आज भी बेटी व बेटों में फर्क करते हैं। उन्हें यह समझना चाहिए कि आज के समय में बेटियां बेटों की तुलना में अधिक नाम कमा रही हैं। फिर भी भेदभाव का दौर जारी है। बहरहाल आज उन अभिवावकों के लिए हम एक ऐसी स्टोरी लेकर आए हैं, जिसे पढऩे के बाद शायद मानसिकता में बदलाव आए। बात एक ऐसी गांव की जहां पर बेटी के जन्म लेने पर परिजनों के द्वारा 111 पौधे लगाए जाते हैं और धूमधाम से उत्सव मनाया जाता है। चलिए जानते हैं इस बारे में
साल 2006 से चली आ रही है परंपरा
राजस्थान के राजसमन्द जिले के पिपलांन्नी गांव में बेटी के जन्म लेने पर परिजनों के द्वारा 111 पौधे लगाए जाते हैं। साथ ही परिजन अपनी खुशी को भी जाहिर करते हैं। बताया जा रहा है कि यह परंपरा साल 2006 से चली आ रही है। गांव की जनसंख्या 8 हजार है।
गांव में लगाए गए ढाई लाख पौधे
बताया जा रहा है कि इस गांव में अब तक ढाई लाख पौधे लगाए गए हैं। और प्रतिवर्ष इस गांव में 60 के लगभग लड़कियों का जन्म होता है। बताया जा रहा है कि गांव में नीम, आम, शीशम सहित कई तरह के पौधे लगाए गए हैं।
परंपरा की शुरुआत पूर्व सरपंच ने की थी
बताया जा रहा है कि यह परंपरा गांव के पूर्व सरपंच श्याम सुंदर पालीवाल ने शुरु की थी। सरपंच ने अपनी बेटी की याद में पौधे लगाए थे। वह गांव की बेटियों की उज्जवल भविष्य के लिए 21 हजार रुपये भी देते हैं। गौर करने वाली बात यह है कि जब भी इस गांव में बेटी का जन्म होता है तो परिवार के लोग 10 हजार रुपये व पूर्व सरपंच के द्वारा दिए गए 21 हजार को जोडक़र कुल 31 हजार रुपये बेटी के लिए फिक्स किया जाता है। बताते चले कि गांव के लोग बेटियों की तरह ही पौधे की रखवाली करते हैं।
अधिक पौधे लगाने से वातावरण भी साफ रहता है
पिछले 14 साल से इस गांव में पौधे लगाने का कार्यक्रम चल रहा है। जिसकी वजह से गांव में वातावरण भी साफ रहता है, साथ ही लोगों को साफ हवा मिलती है।