इस बूढे और बेबस व्यक्ति के पास अपनी रोजी रोटी चलाने के लिए एक साईकिल का सहारा ही था। ये बाबा अपनी साईकिल पर गुब्बारे बेचकर अपने परिवार को चला रहा था। बाबा के साथ उसकी बूढी पत्नी भी रहती थी। मगर एक दिन बाबा की साईकिल चोरी हो गई। बाबा बुरी तरह से परेशान हो गया, बदहवास की हालत में वह बुरी तरह से बौखलाया हुआ था। मानो जैसी उसकी जिदंगी ही लुट गई हो।
रोते हुए पुलिस स्टेशन पहुंचा बाबा
बाबा भागा भागा पुलिस स्टेशन गया और दरोगा के सामने हाथ जोडक़र खड़ा हो गया। उसकी आंखों में आंसू ही आंसू थे। रोते रोते इस बूढे बाबा ने जब थानेदार को अपनी आपबीती बताई और कहा कि उसकी साईकिल चोरी हो गई है। अब वह क्या करेगा और कैसे अपना परिवार चलाएगा। इसके अलावा बाबा के पास कहने के लिए कोई दूसरे शब्द नहीं थे।
बुजुर्ग की हालत देखकर पसीज गया थानेदार का दिल
बाबा की कंपकंपाती आवाज व आंखों में आंसू देखकर थानेदार का दिल भी पसीज गया। थानेदार ने कहा कि वह उनकी रिपोर्ट लिख लेते हैं। मगर बाबा को इस बात का डर था कि वह कोर्ट कचहरी के चक्कर कैसे काटेगा। इसके चलते वह अपनी दो वक्त की रोटी भी गंवा देगा। ये मार्मिक और दुखभरी कहानी है अछनेरा के मोहल्ला भरती निवासी बंगाली राम की। इस बूढे बाबा के बच्चे नहीं हैं। दोनों पति-पत्नी किसी तरह से अपना गुजर बसर कर रहे थे।
साईकिल पर बेचते थे गुब्बारे
बंगाली राम अपनी साईकिल पर रोज गुब्बारे बेचने जाया करते थे। इससे जो भी हासिल होता, उससे वह अपना जीवन यापन कर रहे थे। मगर साईकिल के गुम हो जाने के बाद से बंगाली राम का दिल बुरी तरह से घबराया हुआ था। उसे इस बात का दर्द था कि वह अब कैसे अपनी रोजी रोटी चलाएगा। थानेदार उदयवीर सिंह ने जब इस बुजुर्ग की पूरी कथा सुनी तो उनका दिल भी पसीज गया। तब थानेदार ने निर्णय लिया कि वह इस बाबा की परेशानी को जरूर दूर करेंगे। यह सोचकर दरियादिली का परिचय देते हुए थानेदार ने बंगाली राम को एक साईकिल गिफ्ट कर दी।
थानेदार ने बुजुर्ग को गिफ्ट कर दी साईकिल
थानेदार से गिफ्ट में साईकिल मिलते ही बंगालीराम की आंखों में खुशी के आंसू आ गए। उनके पास शब्द नहीं थे, जिससे वह थानेदार का शुक्रिया कर सकें। भीगती पलकों के साथ वह जब साईकिल ले रहे थे, तब उनकी कंपकंपाती जुबान और नम आंखों में केवल और केवल थानेदार का धन्यवाद ही था। उन्हें लग रहा था कि भगवान ने उनकी पीड़ा को सुना और चोरी गई साईकिल उन्हें लौटा दी। जिसने भी थानेदार उदयवीर की इस दरियादिल को सुना, वह उनकी प्रशंसा ही करता दिखाई दिया। थानेदार ने एक तोहफा देकर दोनों बुजुर्ग पति-पत्नी के चेहरे पर मुस्कान वापिस लौटा दी।