यदि किसी को किसी बात की धुन सवार हो जाए तो फिर उसे रोकना मुश्किल है। चाहे फिर आपकी जेब खाली ही क्यों ना हो, मगर मन में कुछ करने की ठान ली तो फिर कोई रोक नहीं सकता। कहते हैं कि मैं निकला था अकेला ही मंजिल के लिए और रास्ता अपने आप बनता चला गया। यह बात बिल्कुल सटीक बैठ रही है 23 साल के युवक निधिन एमआर पर। यह युवक केरल से 100 दिन की यात्रा पर निकला है। उसका मकसद है कश्मीर की यात्रा करना। अपने इसी मकसद को पूरा करने के लिए ही वह जेब में मात्र 170 रुपए लेकर साईकिल पर सवार होकर निकल लिया है।
केरल से कश्मीर की यात्रा पर निकला है युवक
यह युवक केरल के थ्रिसूर से जम्मू कश्मीर के लिए निकल चुका है। उसका कहना है कि वह बचपन से ही यात्राएं करने का शौक रखता है। ऐसी यात्राएं जीवन में कई अच्छे और बढिय़ा अनुभव देती हैं। इनसे जीवन में कई प्रकार के खटटे और मीठ्ठे अनुभवों की प्राप्ति भी होती है। इसलिए उसने अपने दिल की सुनी और कश्मीर की यात्रा के लिए निकल लिया। हालांकि उसके पास इस यात्रा के लिए पैसे नहीं थे। जेब में मात्र 170 रुपए ही पड़े थे। मगर उसने बिना कुछ सोचे साईकिल , यात्रा में काम आने वाला जरूरी सामान और कुछ कपड़े उठाए और कश्मीर की तरफ यात्रा आंरभ कर दी।
चाय बेचने का अनुभव आ रहा है काम
वह बताते हैं कि उन्होंने दो साल तक चाय बेचने का काम भी किया है। 1 जनवरी को उन्होंने अपनी यात्रा शुरू की और राजस्थान के रास्ते कश्मीर पहुंचने की अपनी यात्रा पर निकल गए। कश्मीर का करीब 3300 किलोमीटर का सफर तय करने के दौरान आने वाले खर्च को वह रास्ते में चाय बेचकर निकालेंगे। निधिन का कहना है कि वह सुबह 5:30 बजे उठते हैं। सुबह सभी काम करने के बाद अपनी यात्रा आरंभ कर देते हैं। शाम को चार बजे तक वह अपनी यात्रा को रोक देते हैं। इसके बाद वह पानी व दूध लेकर वहीं चाय की स्टॉल खोलकर बैठ जाते हैं। वह एक दिन में मात्र 35 कप चाय बेचते हैं,उससे होने वाली आमदनी से ही वह अपनी यात्रा का खर्च निकाल रहे हैं।
साईकिल चलाकर सूज जाते हैं पैर
हालांकि निधिन की यह यात्रा बेहद ही कठिन है। साईकिल से लंबी यात्रा करते हुए उनके पैर भी सूज जाते हैं, मगर वह हार मानने की बजाए अपनी यात्रा को हर हाल में पूरा करना चाहते हैं। लोगों ने उनके जज्बे और हौंसले को देखते हुए सुरक्षित यात्रा के लिए गलव्स और हेलमेेट भी भेंट किया है। निधिन कहते हैं कि लोगों के प्यार और मदद को देखते हुए ही उनका हौंसला और बढ़ गया है।