मुंबई में मौत से जूझ रही इस बच्ची की मदद के लिए ना केवल देश के नागरिक बल्कि केंद्र सरकार भी उठ खड़ी हुई है। जहां एक अपील पर लोगों ने इस बच्ची को जीवित देखने के लिए दस करोड़ रुपए की राशि दान के तौर पर भेज दी, वहीं सरकार ने भी बच्ची की मदद के लिए अपने हाथ आगे बढ़ाकर बड़ा काम किया है।
दुर्लभ बीमारी से पीडि़त है ये बच्ची
मात्र 5 महीने की इस बच्ची तीरा कामत को एक ऐसी दुर्लभ बीमारी है, जिसे केवल अमेरिका से आने वाले एक बेशकीमती इंजेक्शन से बचाया जा सकता है। इस इंजेक्शन की कीमत 16 करोड़ रुपए है। फिलहाल यह बच्ची मुंबई के सबअर्बन अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच झूल रही है। इस बच्ची को एसएमए-1 टाईप की बीमारी है। डाक्टरों का कहना है कि इस बच्ची को अमेरिका से आने वाले इंजेक्शन से ही बचाया जा सकता है। जिसकी कीमत सुनकर हर कोई हैरान है। बच्ची के पिता की आर्थिक स्थिति इतनी मजबूत नहीं है कि वह 16 करोड़ रुपए का इंजेक्शन खरीद सकें।
सोशल मीडिया पर मिले 10 करोड़
जैसे ही इस बच्ची की बीमारी और उसके लगने वाले 16 करोड़ रुपए के इंजेक्शन की बात सोशल मीडिया पर वायरल हुई तो लोगों ने उसकी मदद के लिए हाथ बढ़ाए। बताया गया है कि क्राऊड फंडिंग के माध्यम से लोगों ने इस बच्ची के ईलाज के लिए करीब 10 करोड़ रुपए उसके एकाऊंट में भेजे हैं। बाकि के 6 करोड़ रुपए के लिए केंद्र सरकार ने अपनी ओर से मदद करने का ऐलान किया है।
सरकार करेगी टैक्स माफ
दरअसल इस इंजेक्शन को अमेरिका से लाने पर देश में साढ़े छ: करोड़ रुपए का टैक्स लगता है। इसके बाद ही इसकी कीमत 16 करोड़ रुपए बनती है। पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडऩवीस को जब इसके बारे में पता चला तो उन्होंने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर ये टैक्स माफ करने की अपील की। फडऩवीस के पत्र पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस इंजेक्शन पर लगने वाले जीएसटी और आयात शुल्क को माफ करने का निर्णय लिया है। यानि कि केंद्र सरकार के इस बेहतरीन निर्णय के बाद तीरा कामत को लगने वाले इंजेक्शन के आने का रास्ता साफ हो गया है।
अमेरिका से आएगा इंजेक्शन
बताया गया है कि जल्द ही ये इंजेक्शन अमेरिका से मंगा लिया जाएगा। इसके लिए फंड का प्रबंध भी हो गया है। डाक्टरों का कहना है कि जीन थैरेपी के उपयोग के बाद सर्जरी से इस बच्ची को उसका जीन वापिस मिल जाएगा, जोकि जन्म के बाद से उसके शरीर में था ही नहीं। इस बीमारी में जहां बच्ची स्तनपान करने की स्थिति में नहीं होती, वहीं उसे सांस लेने में भी खासी परेशानी होती है। मगर अब इस बच्ची को लगने वाले इंजेक्शन का कठिन सफर आसान हो गया है।