एक महिला जिसने अपना किरदार इतना बाखूबी निभाया,जिसकी तुलना किसी से भी करना मुश्किल है। इस महिला ने कैंसर से लेकर कोरोना की जंग में अपना जो योगदान दिया है, शायद ही उसे कभी भुलाया जा सके। कैंसर से जंग जीतने के बाद इस महिला योद्धा ने अपने कर्तव्य को निभाते हुए जनसेवा की वर्दी पहनकर सडक़ों पर उतरने का साहस दिखाया है। ऐसी महिला के हौंसले और जज्बे को सिटीमेल न्यूज सलाम करता है।
कैंसर से जीतकर लड़ी कोरोना से जंग
जज्बे , जुनून और साहस की प्रतिमूर्ति इस महिला का नाम है जमनाबेन परमार, जोकि गुजरात की महिला होमगार्ड हैं। कैंसर को मात देकर इस महिला होमगार्ड ने अपनी डयूटी को सर्वोपरि समझा और फिर से सडक़ों पर उतरकर कोरोना को मात देने के अभियान में जुट गई। जमनाबेन को वर्ष 2019 में कैंसर हो गया था। तब ईलाज की वजह से डाक्टरों ने उन्हें एक साल तक का आराम करने की हिदायत दी। इस दौरान जमनाबेन के साहस ने कैंसर पर विजय पाने में दिन रात एक कर दिया। पूरा परिवार उनके स्वास्थ्य को लेकर परेशान था। मगर जमनाबेन को कतई भी चिंता नहीं थी। उन्हें यकीन था कि वह जल्द ही ठीक होकर वापिस अपनी जनसेवा में जुट जाएंगी।
आखिर कैंसर से जीत गई जमनाबेन
अहमदाबाद के स्टर्लिंग अस्पताल में जमनाबेन का ईलाज चल रहा था। बीते मार्च में जब उनका टैस्ट हुआ और जब उनकी रिपोर्ट आई तो सभी यह जानकर हैरान रह गए कि जमनाबेन ने कैंसर को मात देने में सफलता पा ली है। यह रिपोर्ट आते ही सबसे पहले जमनाबेन ने अपने कर्तव्य को प्राथमिकता दी। उन्होंने सीधे अपने कमांडिंग अधिकारी से दोबारा से डयूटी पर लेने की गुजारिश की। इस रिपोर्ट के आधार पर जमनाबेन को दोबारा से वर्दी पहनने का अधिकार दे दिया गया। इस तरह से वह कैंसर को मात देकर दोबारा से नई जंग पर जीत पाने के अभियान मं जुट गई।
ऐसे योद्धाओं को सिटीमेल न्यूज सैल्यूट करता है
जमनाबेन के हौंसले व हिम्मत का ही परिणााम है कि इस दूसरी जंग पर भी जीत होने की संभावना प्रबल होती दिखाई दे रही है। जमनाबेन ने कोरोना काल में लोगों की खूब मदद की। अब परिणाम भी सभी के सामने हैं। भारत देश से कोरोना का अंत होने को तैयार है। जमनाबेन जैसे सिपाहियों के बुलंद इरादों ने ही इस देश को कोरोना से लडऩे में सफल बनाया है। ऐसे योद्धाओं को सिटीमेल न्यूज सैल्यूट करता है।