कई लोग नौकरी से रिटायर होने के बाद अपने पुराने दोस्तों के साथ समय बिताते हैं। वह आराम पूर्वक जीवन जीना चाहते हैं। उन्हें लगता कि अब उन्हें आराम करना चाहिए। नौकरी में रहते हुए जिदंगी की भागदौड़ में वह रिटायर होने के बाद फुर्सत के साथ समय बिताने की इच्छा रखते हैं। मगर कई लोग ऐसे भी होते हैं, जिन्हें रिटायरमेंट के बाद समाज की सेवा का जुनून होता है। ऐसे ही एक शख्स हैं धीरेंद्र कुमार वर्मा। श्री वर्मा ऑडिटर के पद से रिटायर होने के बाद भी फु र्सत से बैठना अपनी तौहीन समझते हैं।
रिटायर होते ही खोल लिया साधना केंद्र
यूपी के गंगासराय के रहने वाले धीरेंद्र कुमार वर्मा इस पद से वर्ष 2015 को रिटायर हुए। इसके तत्काल बाद ही उन्होंने इलाके के बच्चों को शिक्षित करने का अभियान चला दिया। इसके लिए उन्होंने अपने घर में ही साधना केंद्र की शुरूआत कर दी। इस साधना केंद्र के जरिए अपनी मेहनत से वह बच्चों के बीच शिक्षा का दीपक जला रहे हैं।
संघर्ष भरा है वर्मा जी का जीवन
साधारण परिवार में जन्मे और पले बढ़े श्री वर्मा का पूरा जीवन संघर्षों के साथ ही बीता है। ग्रेजुएशन करने के बाद नौकरी नहीं मिलने से निराश हुए बिना अपने संघर्ष को हथियार के तौर पर इस्तेमाल करते रहे। बिना हार माने उन्होंने बीपीएससी की परीक्षा दी, जिसे पास कर वह 1981 में ऑडिटर के पद पर नियुक्त हो गए। इसके बाद लगातार नौकरी में रहते हुए उन्होंने अपने परिवार की देखभाल के साथ साथ समाज के काम में भी आगे चलते रहे। वह जब भी अपने गांव आते तो जरूरतमंद बच्चों की सहायता करते।
मरते दम तक देंगे शिक्षा
रिटायरमेंट के बाद श्री वर्मा ने अपने घर पर ही साधना केेंद्र खोलकर बच्चों की शिक्षा के प्रति समर्पित होने का जो जज्बा दिखाया, वह तारीफ के काबिल है। फिलहाल वह नौवीं से लेकर दसवीं और बारहवीं तथा गे्रजुएशन के बच्चों की भरपूर मदद करते हैं। वह इन बच्चों को गणित, अंग्रेजी और विज्ञान की निशुल्क शिक्षा देते हैं। उनका केवल एक ही ध्येय है कि वह जब तक जीवित रहेंगे, तब तक वह आखिरी सांस तक बच्चों को शिक्षित करने का अभियान जारी रखेंगे।