यदि आपके अंदर कुछ करने गुजरने का जज्बा है और आप हर चुनौती का सामना करने के लिए सक्षम हैं तो कोई भी विपरित हालात अधिक दिनों तक आपके सामने टिक नहीं सकते। मुश्किलें आ तो सकती हैं, मगर आपके मजबूत हौंसले के सामने उन्हें झुकना ही होगा। यह साबित कर दिखाया है, उस विकलांग शख्स ने, जिन्होंने एक छोटी सी फोटोस्टेट की दुकान से 1000 करोड़ रुपए का विशाल कारोबार खड़ा कर दिया। अब आप समझ सकते हैं कि एक छोटी सी दुकान से इतना बड़ा साम्राज्य खड़ा करने में कितने संकट और परेशानी आई होंगी। मगर इस शख्स ने उनके सामने अपना सिर नहीं झुकाया और वह लगातार बढ़ते गए।
ये है रामचंद्र अग्रवाल की कहानी
जी-हां हम जिस शख्स की बात कर रहे हैं, उनका नाम है रामचंद्र अग्रवाल। जिनका नाम बिजनेस की दुनिया का जाना पहचाना नाम बन चुका है। विशाल मेगामार्ट और वी-2 जैसी कंपनी के मालिक रामचंद्र अग्रवाल आज किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। हालांकि विशाल मेगामार्ट आज उनके बिजनेस का हिस्सा नहीं है। शेयर बाजार में आई गिरावट के बाद जब रामचंद्र अग्रवाल को 750 करोड़ रुपए का घाटा सहना पड़ा, तब अपना कर्ज चुकाने के लिए उन्होंने साल 2011 में इस कंपनी को श्रीराम गु्रप के हाथों बेच दिया।
फिर खड़े हुए और दिखाया हौंसला
इसके बाद रामचंद्र अग्रवाल फिर खड़े हुए अपना पूरा साहस इकठठा किया और एक बार फिर से इस बाजार में अपना नया ब्रांड लेकर आ गए। इस नए ब्रांड के साथ वह फिर से बाजार में छा गए। इस बार उन्होंने अपने ब्रांड का नाम वी-2 रखा, जिसके आज देश भर के 32 शहरों में अपने खुद के आऊटलेट हैं। उनके ये सभी शोरूम अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं और सभी खासे फायदे में भी चल रहे हैं।
दिव्यांग रामंचद्र ने खोली थी फोटो कॉपी की दुकान
बता दें कि शीरीरिक रूप से असक्षम होने के बावजूद रामचंद्र अग्रवाल ने जीरो से अपनी जीवन की शुरूआत की थी। कोलकत्ता से अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने 1986 में कुछ रुपए उधार लेकर एक फोटो कॉपी की दुकान खोली थी। हालांकि वह वैसाखियों की मदद से चलते थे, इसके बावजूद उनके अंदर कुछ बड़ा करने का जज्बा था। फोटोकॉपी की दुकान से अपने व्यापार की शुरूआत करते हुए एक साल तक वह इस काम को करते रहे। इस बीच उन्होंने कुछ और बड़ा काम करने का मन बनाया। इसके बाद एक कपड़े की दुकान खोल ली।
इस तरह से दिल्ली चले आए
करीब 15 साल तक वह कोलकत्ता में ही कपड़ों का व्यापार को करते रहे। इससे भी उनका मन नहीं भरा और वह कुछ और बड़ा काम करने की हसरत लेकर दिल्ली चले गए। कलकत्ता की दुकान बंद कर उन्होंने दिल्ली में साल 2001 में विशाल रिटेल के नाम से एक खुदरा व्यापार शुरू किया। उनकी यह शुरूआत रंग दिखाने लगी और विशाल रिटेल शॉप दिनों दिन तरक्की करते हुए आगे बढऩे लगी।
मगर लगा जोर का झटका
देखते ही देखते विशाल मेगा मार्ट ने विशाल रूप ले लिया और सफलता की ऊंचाई को छूने लगी। शेयर बाजार में भी विशाल मेगा मार्ट का नाम शामिल हो गया। पंरतु 2008 में रामचंद्र अग्रवाल को ऐसा झटका लगा कि उनका सारा कारोबार बिखर गया। विशाल मेगा मार्ट को बेचना पड़ा। इसके बावजूद उनके हौंसले टूटे नहीं और फिर से उन्होंने अपने खुदरा बिजनेस की शुरूआत की।
इस तरह से की वी-2 की शुरूआत
इस बार उन्होंने वी-2 की नींव रखी। जिसके बाद उनकी यह कंपनी भी रफ्तार पकड़ गई। आज यह कंपनी भी किसी परिचय की मोहताज नहीं है। इस तरह से एक दिव्यांग व्यक्ति ने अपने हौंसले की उड़ान पर एक बड़ा साम्राज्य खड़ा कर दिखाया। सिटीमेल न्यूज रामचंद्र अग्रवाल के हौंसले और जज्बे को सलाम करता है।