हर अभिभावक अपने बच्चों का भविष्य उज्जवल देखना चाहते है। वह सपना देखते है कि भविष्य में उनकी संत्तान उन्हें सभी सुख दे। हालांकि सभी अभिभावकों के सपने पूरे नहीं हो पाते हैं। लेकिन कुछ अभिभावकों की तपस्या फलीभूत हो जाती है। ऐेसे ही अपने माता पिता के सपनों को उत्तर प्रदेश स्थित सहारनपुर निवासी वैभव अग्रवाल ने अपने प्रयासों से सिद्ध कर दिया है। उन्होंने अपने पिता की मेहनत को दूसरे मुकाम तक पहुंचा दिया है। वैभव ने एक छोटी सी किराना की दुकान को मार्डन स्टोर में बदल दिया है। यह मार्डन स्टोर अब पांच करोड़ का टर्नओवर करने लगा है।
वैभव ने पिता की दुकान को बनाया स्मार्ट
यूपी के सहारनपुर जिले के रहने वाले वैभव अग्रवाल अपने पिता के साथ किराना स्टोर को दोबारा शुरू करने का फैसला किया। उन्होंने पाया कि पिता के स्टोर ठीक तो है, लेकिन उनमे शहरी स्टोर की तरह वह सभी सुविधाएं नहीं है। इसके लिए जरूरी था कि स्टोर को नया लुक दिया जाए। पिता के किराना स्टोर का शहरीकरण करते हुए वैभव ने उसको मार्डनाइज करने का फैसला किया। लेकिन उन्हें शायद यह खुद ही नहीं पता था कि एक दिन इसका टर्नओवर पांच करोड़ के पार हो जाएगा।
वर्ष 2006 में शुरू की थी कमला स्टोर के नाम से दुकान
वैभव के पिता संजय अग्रवाल ने केवल 10 हजार रुपए के साथ कमला स्टोर के नाम से अपनी दुकान शुरू की थी। धीरे धीरे उन्होंने अपनी मेहनत से 10 से 20 स्क्वायर फीट के स्टोर को 1500 स्क्वायर फीट का कर दिया। लेकिन स्टोर बड़ा होने के बाद भी वह लाभ नहीं मिल पा रहा था। पिता को अधिक लाभ देने के उद्देश्य से वैभव ने पूरे सिस्टम में बदलाव करने का फैसला किया। वैभव ने अपनी स्टार्टअप कंपनी किरण स्टोर के जरिए पिता के कारोबार को बढ़ाने की कोशिश की। उन्होंने पूरे भारत के 12 शहरों में 100 से अधिक दुकाने बनाई। उनके इस स्टार्टअप ने दो साल में पांच करोड़ का टर्नओवर कर लिया। वैभव बताते है कि उनके 12 शहरों में 50 से अधिक किराना स्टोर काम कर रहे हैं।
मल्टीनेशनल कंपनी में काम करते हुए मिली प्रेरणा
वर्ष 2013 में बाबू बनारसीदास नेशनल इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी लखनऊ से अपनी इंजीनियरिंग की डिग्री पूरी करने के बाद कुछ माह दुकानों पर काम किया। जिसके बाद उन्होंने कैंपस प्लेसमेंट के जरिए मैसूर की एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम किया। वैभव बताते है कि वह खुदरा बाजार बिल्कुल अलग ढंग से काम करता है। वह बताते है कि खुदरा दुकानो के लिए स्मार्ट स्टोर, विभिन्न उत्पाद मिश्रण और नियमित चेन सिस्टम को देखा। उन्होंने देखा कि करीबन एक साल तक मेहनत करने के बाद वर्ष 2014 में नौकरी छोडक़र वापस आ गया। मैने सेल्स मैनेजर 10 हजार रुपए के वेतन पर एक नौकरी ज्वाइंन कर ली। वैभव कहते है कि उन्होंने अपने प्रोजेक्ट को सफल करने के लिए कई जगहों पर काम किया। उन्होंने पंजाब, हरियाणा, यूपी, उत्तरांचल सहित कई राज्यों की संस्कृति को देखा।
किराना स्टोरों के आधुनिकरण से मिलेगी मदद
वैभव बताते है कि वर्ष 2019-20 में कंपनी ने एक करोड़ रुपए का कारोबार किया। इस साल जनवरी में ही पांच करोड़ रुपए आया है। सबसे अधिक भुगतान वाला प्रोजेक्ट सहारनपुर था। जिसमें सबसे अधिक 15 लाख रुपए का बिल दिया गया। वह बताते है कि उनका एक प्रोजेक्ट देहरादून और उत्तराखंड में चल रहा है। वह बताते है कि रिटेल पार्टनर्स उनके काम को बढ़ावा देते हैं। वह खुद भी अच्छा मुनाफा कमाते है।