वर्तमान में हर कोई व्यक्ति एक अच्छी नौकरी या व्यापार के साथ जिंदगी में सैटल होना चाहता है, लेकिन क्या कभी आपने सुना है कि किसी व्यक्ति ने दूसरों की मदद करने के लिए खुद की नौकरी छोड़ दी| शायद नहीं! परंतु आज हम आपको एक ऐसे ही व्यक्ति के बारे में बताने जा रहे हैं जो कभी मिठाई की दुकान चलाते थे, लेकिन आज वह 2 करोड़ से भी ज्यादा लोगों की मदद कर चुके हैं| यहाँ तक की दूसरों की मदद करने के लिए उन्होंने अपनी नौकरी तक छोड़ दी थी| आइए जानते हैं इस खास शख्सियत के बारे में|
बहुत ही प्रेरणादायी कहानी है चन्द्रशेखर घोष की
चन्द्र शेखर घोष एक ऐसा नाम जिससे आज हर कोई भली-भांति परिचित है| यह वही नाम है जो आज इंसानियत की मिसाल बन चुका है| घोष आज माइक्रोफ़ाइनेंस के द्वारा 2 करोड़ से भी ज्यादा लोगों की मदद कर चुके हैं, साथ ही अपने NGO के द्वारा वह नारी सशक्तिकरण को भी बढ़ावा दे रहे हैं| लेकिन घोष का सफर बिल्कुल भी आसान नहीं था|
NGO के साथ जुड़ने के बाद गाँव में फैली गरीबी को जाना और समझा
वैसे तो घोष ने भी बचपन से ही सफलता पाने के लिए कड़ा संघर्ष किया है| घोष ने बचपन में अपने पिता की मिठाई की दुकान को संभालना शुरू कर दिया और ट्यूशन पढ़ा कर खुद का खर्च निकालने लगे| लेकिन उसके बाद ढाका विश्वविद्यालय से सांख्यिकी में स्नातकोत्तर करने के बाद घोष ने NGO के साथ काम करना शुरू कर दिया और वह गाँव में फैली गरीबी को समझने लगे और उन्होंने गाँव के लोगों की मदद करने का फैसला किया|
2001 में शुरू की खुद की कंपनी और की लोगों की मदद
NGO में काम करते हुए अपने अनुभव से उन्होंने जाना कि गाँव की महिलाओं को सशक्त बनाना आवश्यक है और उनके मन में विचार आया कि यदि वह इन महिलाओं को आर्थिक रूप से सक्षम कर दें तो शायद उनकी स्थिति में थोड़ा सुधार आ जाए| इसी विचार के चलते घोष ने 2001 में बंधन कोनगर के नाम से अपनी एक कंपनी शुरू की और महिलाओं को 2 लाख रुपए तक का छोटा लोन देना शुरू कर दिया|
2017 तक बंधन बैंक की 887 शाखाएँ और 430 एटीएम हैं
बंधन बैंक का नाम “बंधन” रखने पीछे यही कारण था कि यह शब्द विश्वास को दर्शाता है| 2009 में इस बैंक के सराहनीय कार्य को देखते हुए इसे NBFC के रूप में रजिस्टर्ड कराया गया| उसके बाद 2014 में यह बैंक देश का पहला NBFC बन गया और इस बैंक को आरबीआई ने भी बैंकिंग लाइसेन्स दे दिया| 2017 तक बंधन बैंक की 887 शाखाएँ और 430 एटीएम हैं| इस सफलता को पाने के लिए घोष की ज़िंदगी में ऐसा भी मोड़ आया जब उन्होंने नौकरी तक छोड़ दी थी| आज इस सफलता को पाने के साथ साथ घोष माइक्रोफ़ाइनेंस के द्वारा 2 करोड़ से भी ज्यादा लोगों की मदद कर चुके हैं|