इंसान में यदि कुछ कर गुजरने का हौंसला हो तो फिर कोई काम उसके लिए बड़ा या मुश्किल नहीं होता। इस स्टोरी में आज आपको एक ऐसी परिश्रमी व जुनूनी महिला की कहानी बताएंगे, जिन्होंने अपना पूरा जीवन लोगों की सेवा के साथ खेतीबाड़ी करने में बिता दिया। यही नहीं बल्कि जिस उम्र में लोग चलने फिरने में पूरी तरह से असमर्थ होते हैं, उस उम्र में वह खेतीबाड़ी करती हैं और शानदार तरीके से अपने काम करने के तौर तरीकों से सभी को हैरान कर देती हैं। उनके इसी जज्बे को देखते हुए सरकार ने उनके सिर पर पदमश्री का ताज पहनाया है।
इस हौंसले का नाम है पप्पम्माल
इस हौंसले की जीती जागती महिला का नाम है पप्पम्माल, जिनकी आयु 105 साल है। लेकिन हैरान करने वाली असली बात तो यह है कि इस उम्र में भी ये दृढृ निश्चय की धनी महिला ना केवल खेती बाड़ी करती हैं, बल्कि अपना एक प्रोविजन स्टोर भी चलाती हैं। कर्मनिष्ठ महिला को इस साल सरकार ने पदमश्री पुरस्कार से नवाजा है।
105 साल की उम्र में करती हैं खेतीबाड़ी
तमिलनाडू की रहने वाले पप्पम्माल की खास बात ये है कि वह 105 साल की उम्र में भवानी नदी के किनारे एक गांव में अपना आर्गेनिक फार्म चलाती हैं। अम्मा पप्पम्माल इस फार्म के जरिए शुद्व सब्जी और अनाज का उत्पादन करती हैं। इसके अलावा वह एक प्रोविजन स्टोर भी चलाती है। इस कर्मठ महिला को पदमश्री पुरस्कार के लिए चुना गया है। लोगों का कहना है कि पप्मम्माल इस पुरस्कार की असली हकदार हैं। उम्र के जिस पड़ाव पर आकर लोग अक्सर चलने फिरने के लिए भी मोहताज होते हैं, उस उम्र में वह बड़ा काम कर रही हैं। खेतीबाड़ी के व्यवसाय के अलावा वह लोगों के लिए समाज सेवा का काम भी करती हैं।