अंग्रेजी का प्रचलन इतनी तेजी से बढ़ता जा रहा है कि जो लोग अंग्र्रेजी में कम ज्ञान रखते है वह तनाव में आ जाते हैं। लेकिन कई लोग ऐसे भी होते है जो अंग्रेजी को अपने रास्ते का रोड़ा नहीं बनने देते हैं। ऐसे लोग का निशाना केवल अपनी मंजिल पर ही रहता है। हिंदी में इंटरव्यू देकर आईएएस अफसर बनने वाले दिलिप कुमार इन्हीं लोगों में शामिल है। दिलीप ने साबित कर दिया कि माध्यम कोई भी हो, बस आपके भीतर मंजिल को पाने की लगन होनी चाहिए।
अंग्रेजी बन रही थी रास्ते का रोड़ा
दिलीप बताते है कि उनकी शिक्षा बचपन से ही हिंदी मीडियम से हुई थी। वह आसपास का माहौल भी शुरुआत से हिंदी वाला रहा। हालांकि उनकी अंग्रेजी भी अच्छी थी। लेकिन शुरुआत से ही हिंदी में उनकी पकड़ अधिक मजबूत रही। दिलीप का कहना था कि हम अपनी भाषा में खुद को बेहतर तरीके से प्रस्तुत कर सकते हैं। ऐेसे में यूपीएससी का इंटरव्यू उसी भाषा में देना चाहिए। जिसमें आप अपने आपको बेहतर तरीके से दूसरों के सामने प्रस्तुत कर सके। वैसे आपकी पकड़ सभी विषयों पर पूरी तरह से मजबूत होनी चाहिए।
हिंदी के इंटरव्यू के आइडिया ने बदला जीवन
यूपीएससी परीक्षा में दिलीप कुमार दो बार इंटरव्यू तक पहुंचे थे। लेकिन वह आईएएस बनने में सफल नहीं हो सके। दोनों बार उन्होंने अपना इंटरव्यू अंग्रेजी में दिया था। अंत में उन्होंने तय किया वह अपनी मंजिल पर पहुंचने का रास्ता बदलेंगे। इस बार उन्होंने परीक्षा तो अंग्रेजी में दी, लेकिन इंटरव्यू के लिए हिंदी का विकल्प चुना। हिंदी में इंटरव्यू देने का उनका आइडिया सफल रहा। वह तीसरी बार में यूपीएससी की परीक्षा पास करके आईएएस बन गए। उन्होंने 73 रैंक हासिल की। वह कहते है कि परीक्षा उसी भाषा में देनी चाहिए, जिसमें आप सफल हो सके।
पूरी सटीक रणनीति बनाकर करनी चाहिए तैयारी
दिलीप यूपीएससी की तैयारी करने वाले छात्रों को कहते है कि पूरी रणनीति बनाकर तैयारी करनी चाहिए। ताकि आप इंटरव्यू में हड़बड़ी की स्थिति में न हो। वहीं इंटरव्यू देते समय कभी भी झूठ नहीं बोलना चाहिए। हमारी मातृभाषा हिंदी है। इसको लेकर कभी भी मन में हीन भावना नहीं पैदा करनी चाहिए। वह कहते है कि इस भाषा का चयन करने से आपके कभी भी अंकों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए तैयारी करनी चाहिए।