हमारे देश में होनहार खिलाडिय़ों को कितना संघर्ष और मुसीबतों का सामना करना पड़ता है, यह 7 बार नेशनल कुश्ती जीत चुके रेसलर सनी जाधव से बेहतर कोई नहीं जानता। उनके पिता के निधन के बाद से यह पहलवान खुद के लिए अभाव ग्रस्त जीवन जी रहा है। अपनी पहलवानी को जिंदा रखने के लिए सनी ना केवल हर रोज गाडिय़ां धोता है, बल्कि रेल विभाग में मजदूरी भी करता है। इसके बावजूद अपनी डाईट के लिए वह हर रोज चुनौतियों से जूझता हुआ दिखाई देता है।
सात बार जीत चुका है मैडल
बता दें कि सनी जाधव मध्यप्रदेश का एक होनहार पहलवान है, जिसने राष्ट्रीय स्तर पर प्रदेश का कई बार नेतृत्व किया है। अब तक सन्नी सात बार मध्यप्रदेश की ओर से खेलते हुए राष्ट्रीय स्तर पर मैडल जीत चुका है। पंरतु इसके बावजूद वह आर्थिक स्तर पर परेशानियों से जूझ रहा है, जिसके चलते उसे मजदूरी व गाडिय़ां धोने का काम करना पड़ रहा है। वह अपनी डाईट के लिए दिन भर मजदूरी करता है। इसके बाद भी जब उसे अपना खेल जारी रखने में मुश्किलों का सामना करना पड़ा तो उसने कुश्ती छोडऩे का मन बना लिया।
प्राधिकरण ने बढ़ाए मदद के हाथ
पंरतु इस बीच सन्नी ने अपनी व्यथा से भारतीय खेल प्राधिकरण को अवगत जरूर करवा दिया। प्राधिकरण ने जब इस होनहार पहलवान की सारी मजबूरी व परेशानियों को समझा तो तत्काल उसकी सहायता के लिए हाथ बढ़ा दिया। प्राधिकरण ने ना केवल उसे ढाई लाख रुपए की आर्थिक सहायता जारी कर दी, बल्कि उसे फिर से प्रेक्टिस करने के लिए प्रेरित किया। प्राधिकरण की मदद के बाद सन्नी जाधव ने 20 से 22 फरवरी तक जालंधर में होने वाले वरिष्ठ राष्ट्रीय कुश्ती प्रतियोगिता में मैडल जीतने की तैयारी शुरू कर दी है।
ये है सन्नी के परिवार की हालत
बता दें कि सन्नी जाधव के पिता एक ढाबा चलाते थे, जिससे उनके परिवार का खर्च मुश्किल से ही चल पाता था। उनके पिता को ब्रेन हेमरेज हो गया था ,जिसके चलते वर्ष 2017 में उनका निधन हो गया। इसके बाद उनका ढाबा बंद हो गया और परिवार आर्थिक संकट में फंस गया। इसके बाद सन्नी की मां ने घरों में बर्तन धोना शुरू कर दिया, जबकि वह गाडिय़ां धोने व रेलवे में मजदूरी का काम करने लगा। मगर खेल प्राधिकरण की मदद के बाद सन्नी को अब अपने भविष्य को लेकर उम्मीद बंधने लगी है।