कोरोनाकाल के बाद लागू हुए लाकडाउन ने पूरे देश में हिलाकर रख दिया। काम के सिलसिले में शहर आए लोगों को अचानक से वापस लौटना पड़ा। पूरे देश में भगदड़ की स्थिति बन गई। कई लोगों को काफी समय तक भूखा भी रहना पड़ा। ऐसे समय में कई लोग ऐसे भी थे। जो जरूरतमंद लोगों के अन्नदाता बनकर आगे आए। इन्होंने न केवल जरूरतमंद लोगों की मदद की। बल्कि उन्हें हर तरह से सहयोग दिया। ऐसे लोगों को मणिपुर के रोहन सिंह का नाम भी शामिल है। रोहन सिंह ने लॉकडाउन में प्रतिदिन 40 से 50 लोगों को खाना खिलाया।
लॉकडाउन खुलने के बाद भी चल रहा है सिलसिला
लाकडाउन खुलने के बाद भी रोहन जरूरतमंद लोगों की सेवा कर रहे हैं। रोहन अपने दोस्तों के साथ अभी भी जरूरतमंद लोगों को खाना और जरूरी सामान बांट रहे हैं। रोहन और उनके दोस्तों का ग्रुप जरूरतमंद लोगों को खाना खिलाने में अपने पैसे खर्च कर देते हैं। अपने इस काम को विस्तार देने के लिए रोहन अब पूरे देश से साईकिल की यात्रा करेंगे। लोगों से जरूरतमंद लोगों के मदद की अपील करेंगे।
बिना सरकारी मदद के ही किया बड़ा काम
रोहन बताते है कि लॉकडाउन के समय उन्हें भी तरह से कोई सरकारी मदद नहीं मिली। वह बताते है कि लोग उनके पास खाने पीने की तलाश में भटकते हुए थे। जिससे वह लोगों को खाना खिला देते थे। इसके बाद उनके मन में सुझाव आया कि कई ऐसे भी लोग है जो उनके पास नहीं पहुंच पाते हैं। इसलिए अपने सहयोग के दायरे को बढ़ाना चाहिए। रोहन बताते है कि वह इस समय साईकिल से घूमते हुए ओडिशा पहुंच चुके हैं। रोहन बताते है कि अपनी इस यात्रा में वह नेताओं से बड़े लोगों से मिलने की कोशिश कर रहे हैं। ताकि वह नेक काम के लिए चंदा एकत्र कर सके।
रोजाना खर्च होते है चार हजार रुपए
रोहन के अनुसार उनकी टीम इम्पाल में रोजाना 50 से अधिक लोगों को खाना खिला रही है। जिसमें 50 हजार रुपए का खर्च होता है। दिन की शुरुआत में यह जानकारी नहीं होती है कि उन्हें प्रतिदिन कितने लोग मिलेंगे। हमे कभी 10 से 15 लोग मिलते थे। कभी इनकी संख्या बढक़र 40 से 50 हो जाती है। वह कहते है कि प्रतिदिन अलग-अलग खाना बनाया जाता है। एक व्यक्ति को खाना खिलाने की लागत 100 रुपए आती है। वह कहते है कि उनका यह प्रयास हमेशा जारी रहेगा।