एक महिला अपने पति से ऐसी बिछड़ी कि वह अपनी दो बेटियों के साथ भिखारी का जीवन जीने लगी। लगभग 6 साल तक वह अपना व अपनी बेटियों का पेट भरने के लिए दर-दर की ठोंकरे खाते हुए भीख मांगकर गुजारा कर रही थी। कभी वह मंदिर की सीढिय़ों में भीख मांगती नजर आती तो कभी किसी सडक़ किनारे। उसकी हालत ऐसी हो गई कि उसकी मानसिक स्थिति भी क्षीण हो गई थी।
भीख मांगकर कर रही थी गुजारा
ये महिला अपना व अपने बच्चों का गुजर बसर चलाने के लिए जोशीमठ से लेकर शहर के कई हिस्सों में भीख मांग रही थी। कभी कोई भीख देता तो कभी दुत्कार मिलती। इस तरह से पति से बिछड़ी इस महिला को दुगर्ति का शिकार होते देखकर किसी सामाजिक संस्था ने उसकी व्यथा पूछी। इसके बाद उत्तराखंड राज्य बाल अधिकार सरंक्षण आयोग ने इस महिला और उसकी दोनों नाबालिग बेटियों को उसके पिता और पति से मिलाने का अभियान शुरू कर दिया। इसके बाद महिला से पूछताछ के बाद पता चला कि उसका पति बिहार में रहता है और वह 6 साल से बिछडक़र किसी तरह से अपना व अपनी बेटियों गुजर बसर कर रही थी।
इस तरह से फिर मिली पति से
भीख मांगते हुए यह महिला कमजोर हो चुकी थी तथा हर रोज वह मुश्किल भरा जीवन यापन करने के लिए मजबूर थी। आयोग ने बड़ी जिम्मेदारी से इस महिला को उसके पति से मिलाया। आयोग ने यह भी कहा कि वह सुनिश्चित करेंगे कि इस महिला और उसके बच्चों को उच्च शिक्षा, मानसिक और सामाजिक सुरक्षा जरूर मिले। इस तरह से इस महिला को उसके पति से मिलाया जा सका। अपने पति से मिलने के बाद यह महिला काफी खुशी महसूस कर रही थी। शायद अब उसका बनवास भी एक तरह से समाप्त हो गया। महिला ने अपने पति से मिलाने के लिए उत्तराखंड सरकार और बाल अधिकार सरंक्षण आयोग का आभार जताया है।