पलवल। आखिरकार हरियाणा के इतने बड़े नेता होने के बावजूद पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुडडा ने अपनी सारी चौधर पलवल के पूर्व विधायक करण सिंह दलाल के सामने क्यों रख दी। अचानक ऐसा क्या हुआ कि पूर्व मुख्यमंत्री को करण दलाल के सामने हाथ जोडऩे पड़े और दलाल खड़े खड़े मुस्कुराते रहे। पूर्व सीएम का अचानक से हाथ जोडऩे का वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है। राजनीति में इसके कई मायने भी निकाले जा रहे हैं। हर कोई हैरान है कि आखिरकार हुडडा को हजारों लोगों की जनसभा में दलाल के सामने हाथ क्यों जोडऩे पड़े। हुडडा का हाथ जोडऩा कहीं ना कहीं करण दलाल की लोकसभा चुनावों की नाराजगी से भी जोडक़र देखा जा रहा है।
आपको ये तो पता ही है कि करण दलाल और भूपेंद्र सिंह हुडडा समधी हैं। दरअसल हुडडा साहब की सगी भतीजी का विवाह करण सिंह दलाल के बेटे के साथ हुआ है। इस नाते दोनों के बीच नजदीकी रिश्तेदारी है। लेकिन खबर ये है कि करण दलाल पिछले कुछ समय से अपने समधी भूपेंद्र सिंह हुडडा से नाराज चल थे। राजनैतिक गलियारों में ऐसी चर्चा है कि लोकसभा चुनावों में टिकट ना मिलने के बाद से करण दलाल अपने समधी से रूष्ट होकर बीजेपी में जा रहे हैं। ये भी किसी से छुपा नहीं है कि लोकसभा चुनावों में हुडडा परिवार का पूरा दबदबा रहा और तमाम टिकट उनके हिसाब से बांटी गई। लेकिन सिरसा में कुमारी शैलजा और फरीदाबाद में महेंद्र प्रताप की टिकट को लेकर कहीं ना कहीं हुडडा साहब बैकफुट पर रहे। तमाम कोशिशों के बावजूद हुडडा अपने समधि को टिकट नहीं दिलवा पाए।
कहा जाता है कि इसके बाद से ही करण दलाल ने नाराजगी पाल ली और वो हुडडा परिवार से नाराज हो। जो लोग करण सिंह दलाल को नजदीक से जानते हैं उन्हें अच्छी तरह से पता है कि करण दलाल बेहद ही सख्त मिजाज राजनेता हैं और जब वो किसी से नाराज हो जाते हैं तो फिर नाराज ही रहते हैं। हालांकि राजनीति और रिश्तेदारी में जिदद और नाराजगी का कोई स्थान नहीं होता, लेकिन दलाल साहब का स्वभाव कुछ इस तरह का ही माना जाता है। अब रिश्तेदारी की वजह से हुडडा साहब भी दलाल की नाराजगी से अंदर ही अंदर विचलित थे। हाल ही में पलवल में जब पूर्व मंत्री हर्ष कुमार ने कांग्रेस शामिल हुए तब वहां आयोजित जनसभा में हुडडा साहब ने जहां पलवल को पूरा मान सम्मान देने की बात कही, वहीं उन्होंने करण दलाल के सामने हाथ जोडक़र उस नाराजगी को भुलाने का इशारा भी किया। हालांकि करण दलाल मुस्कुराते दिखाई दिए।
हो सकता है कि ये रिश्तेदारी का तकाजा भी हो, लेकिन जहां तक राजनैतिक वजूद का मामला है तो करण सिंह दलाल का अपना राजनैतिक वजन भी है और रसूख भी। पलवल और आसपास के इलाकों में करण दलाल का अपना वोट बैंक है। जिस वजह से उनकी नाराजगी ना केवल हुडडा परिवार बल्कि कांग्रेस पर भी भारी पड़ सकती थी। लेकिन लगता है कि अब हुडडा साहब के माफीनामे के बाद पलवल और कांग्रेस की राजनीति में सब कुछ ठीक हो गया है। वहीं करण दलाल की मौजूदगी में हर्ष कुमार का कांग्रेस में शामिल होना भी पलवल जिले की राजनीति में सब कुछ चंगा होने के संकेत दे रहे हैं। दलाल और हर्ष के बीच छत्तीस का आंकडा अब शायद मधुर संबंधों में बदलता हुआ दिखाई दे रहा है। मगर अब ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा कि कांग्रेस को इसका कितना लाभ मिल पाता है और वो पलवल की सीट फिर से कांग्रेस की झोली में डाल पाते हैं या नहीं।