चंडीगढ़। हरियाणा में बीजेपी की पहली लिस्ट के साथ ही शुरू हुआ इस्तीफों का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा। राज्य भर में चारों ओर से बीजेपी के विधायक , नेता, मंत्री, पूर्व मंत्री और पदाधिकारी इस्तीफों की झडी लगा रहे हैं। पार्टी के तमाम बड़े नेता अब बीजेपी के लिए इतना बड़ा संकट बन गए हैं, जिन्हें मनाने के लिए खुद मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को मैदान में कूदना पड़ा है। मगर अफसोस कि इसके बाद भी नाराज नेता ना केवल नाराज हैं, बल्कि मुख्यमंत्री को भी इन नेताओं से अपमानित होना पड़ रहा है।
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक वीडियो में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की लाईव फजीहत साफ दिखाई दे रही है, जिसमें एक मंत्री से सीएम साहब ने हाथ मिलाना चाहा और मंत्री जी ने मुख्यमंत्री को इगनोर कर उनसे हाथ तक नहीं मिलाया और बिना जवाब दिए आगे निकल गए। शायद सीएम साहब को उम्मीद नहीं रही होगी कि एक दिन उन्हें इतनी बेइज्जती भी सहन करनी होगी। वायरल वीडियो के मुताबिक सीएम साहब हाथ मिलाने के लिए आगे बढे और झटका खाकर खिसियाते रह गए। 67 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी कर बीजेपी इतने बड़े भंवर में फंस जाएगी, शायद किसी ने इसकी कल्पना तक नहीं की होगी। लेकिन जैसे ही ये लिस्ट जारी हुई तो बीजेपी की राजनीति में मानो तूफान सा आ गया हो। रातों रात चारों ओर से इस्तीफों और विरोध की चीख चिल्हाट शुरू हो गई। विधायक और मंत्री रोने लगे और उनके समर्थकों ने इस्तीफों की झडी लगा दी। फिर वो बीजेपी के निष्ठावान नेता हों या फिर कार्यकर्ता, सभी ने अपनी मां कहने वाली पार्टी को कोसना शुरू कर दिया।
हिसार से लेकर सिरसा और सोनीपत से लेकर भिवानी और गुरूग्राम से लेकर सोहना या फिर पलवल से लेकर फरीदाबाद हो, सूबे का शायद ही ऐसा कोई शहर बचा हो, जहां बीजेपी के खिलाफ बगावत का झंडा बुलंद ना किया जा रहा। ऐसा ही एक वीडियो देखकर आप दंग रह जाओगे, जिसमें मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को लाईव बेइज्जती का स्वाद चखना पड़ा और चाहकर भी वो कुछ नहीं कर पाए, बस बेचारे खिसियाकर रह गए। आप भी देखिए किस तरह से राज्य सरकार के मंत्री कर्णदेव कंबोज अपनी टिकट कटने से इतने नाराज हो गए कि जब मुख्यमंत्री उन्हें मनाने के लिए पहुंचे और उनसे हाथ मिलाना चाहा तो कंबोज ने बिना उनकी तरफ देखे अपने हाथ आगे नहीं बढाए और हाथ जोड़ते हुए बिना कुछ बोले बस गुस्से में आगे बढ़ गए।
कर्णदेव कंबोज ने कैमरे के सामने ही सीएम साहब को अपनी नाराजगी से दो टूक अवगत करवा दिया। ठीक इसी तरह से सीएम साहब अपने पूर्व अध्यक्ष सुभाष बराला को भी मनाने पहुंचे। लेकिन बराला ने भी नाराज और क्रोध भरे चेहरे के साथ उनका जबरन स्वागत किया। दरअसल सुभाष बराला के टोहाना विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी ने दलबदल कर जेजेपी से आए पूर्व मंत्री देवेंद्र बबली को टिकट दे दी। 2019 में बबली ने बीजेपी प्रत्याशी रहे सुभाष बराला को ना केवल पानी पीकर कोसा था, बल्कि उन्हें चुनाव मैदान में शिकस्त भी दी थी। अब वही देवेंद्र बबली सुभाष बराला की राजनीति को कुचलकर बीजेपी के उम्मीदवार हो गए हैं। अब सुभाष बराला का इससे ज्यादा क्या अपमान हो सकता है। ऐसा ही रानियां विधानसभा से चुनाव जीते राज्य के वरिष्ठ मंत्री और हिसार से बीजेपी के लोकसभा प्रत्याशी रहे रणजीत सिंह चौटाला के साथ भी हुआ। उनकी टिकट भी काट दी गई और शीशपाल कंबोज को उम्मीदवार बना लिया गया। इससे नाराज होकर रणजीत सिंह ने भी बीजेपी से इस्तीफा देकर निर्दलीय चुनाव लडऩे की हुंकार भर दी है।
सोनीपत में पूर्व मंत्री और बीजेपी की निष्ठावान कार्यकर्ता कविता जैन की टिकट भी काट दी गई। टिकट जाने के बाद से कविता जैन का रो रोकर बुरा हाल है। कविता जैन के पति राजीव जैन भी बीजेपी के पुराने और समर्पित कार्यकर्ताओं की श्रेणी में हैं, लेकिन इनकी प्रतिष्ठा और राजनैतिक कैरियर को रौंदते हुए उनके स्थान पर कांग्रेस से आए निखिल मदान को अपने सिर पर बिठा लिया। सोहना से विधायक और मंत्री रहे संजय सिंह पर भी कुठाराघात हुआ और उनकी बजाए तेजपाल तंवर को चुन लिया गया। अब संजय सिंह बगावत ना करें तो क्या करें। पूर्व मंत्री बच्चन सिंह आर्य की टिकट पर बुलडोजर चला दिया गया, उनकी सीट से जेजेपी से आए रामकुमार गौतम को अपना लिया। पलवल से बीजेपी में संगठन से लेकर सरकार तक में काम करने वाले जुझारू विधायक दीपक मंगला को साईड लाईन कर युवा चेहरे गौरव गौतम को चुन लिया गया। हालांकि गौरव भी दीपक मंगला की तरह से ही बीजेपी के कार्यकर्ता हैं, लेकिन चुनावी राजनीति में वो कितना टिक पाएंगे, ये संदेह के घेरे में है।
वहीं फरीदाबाद से विधायक और बीजेपी के कोषाध्यक्ष रहे नरेंद्र गुप्ता को भी घर बिठाकर उनके स्थान पर पूर्व मंत्री विपुल गोयल को चुनाव मैदान में उतार दिया गया। फरीदाबाद जिले की पृथला सीट से निर्दलीय विधायक नयनपाल रावत को पूरे पांच साल टिकट का आश्वासन दिया गया, लेकिन ऐन वक्त पर उनकी बजाए पूर्व विधायक टेकचंद शर्मा को मैदान में उतार दिया गया। अब नयनपाल रावत ने भारी जनसमूह के बीच शपथ ले ली कि वो बीजेपी को जीतने नहीं देंगे। इसी सीट पर ही एक अन्य कार्यकर्ता हैं दीपक डागर, उन्हें भी टिकट का लॉलीपाप दिया जाता रहा, लेकिन अब उन्हें भी ठेंगा दिखा दिया। दीपक डागर भी बीजेपी के खिलाफ सडक़ों पर उतर आए हैं। इनके अलावा गुरूग्राम से सुधीर सिंगला, बवानीखेडा से विशंभर बाल्मीकि, अटेली से सीताराम यादव, पेहवा से पूर्व मंत्री संदीप सिंह, रतिया से विधायक लक्ष्मण नापा,आदित्य चौटाला, गुरूग्राम से जीएल शर्मा, बीजेपी किसान मोर्चा के अध्यक्ष सुखबीर श्योराण, सोनीपत से अमित जैन और शमशेर सिंह गिल ऐसे बड़े चेहरे हैं, जिन्होंने अपने त्यागपत्र या तो दे दिए हैं या फिर नाराज होकर घर बैठ गए हैं। अब देखना ये है कि इन नाराज नेताओं की बगावत बीजेपी को चुनावों में क्या रंग दिखाती है और इसके बाद विरोधी होने वालों की संख्या किस कदर बढ़ोत्तरी होती है, इस पर पूरे राज्य की नजरें लगी हुई हैं। दोस्तों अब इस बारे में आप क्या कहेंगे, इस पर कमेंट करके जरूर बताएं।