सिरसा। आप सभी ने एक कहावत तो जरूर सुनी होगी कि धोबी का गधा घर का ना घाट का। करीब करीब हरियाणा में बीजेपी की हालत भी कुछ इसी तरह की हो गई है। सिरसा में जिस गोपाल कांडा को बीजेपी दुलार रही थी, उसी ने ऐसी दुल्लती मार दी, जिससे बीजेपी की जमकर जग हंसाई हो रही है। अब आप ये जानने को बेकरार होंगे कि आखिर गोपाल कांडा ने ऐसा क्या कर दिया, जिससे बीजेपी की हालत धोबी के डेस डेस डेस जैसी हो रही है, तो चलिए आपको बताते हैं कि बीजेपी के साथ ऐसा क्या हुआ, जिससे सूबे की राजनीति में देश और दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी की फजीहत हो रही है।
आपको याद होगा कि हाल ही में बीजेपी ने सिरसा में हरियाणा लोकहित पार्टी के मालिक गोपाल कांडा को अपना समर्थन देते हुए वहां से अपने पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी रोहताश जांगडा का नामांकन वापिस ले लिया था। जबकि कांडा को बीजेपी के साथ साथ इनेलो और बसपा भी अपना समर्थन दिए हुए थे। लेकिन जैसे ही बीजेपी ने कांडा के समर्थन का ऐलान करते हुए अपने प्रत्याशी का पर्चा वापिस करवाया, उसके बाद तो हरियाणा की राजनीति में हडकंप मच गया था। हर कोई हैरान था कि दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी होने का दावा करने वाली बीजेपी के सामने आखिर ऐसी क्या मजबूरी आन पड़ी कि उसे गोपाल कांडा के सामने अपना प्रत्याशी वापिस बिठाना पड़ा।
हालांकि तब भी बीजेपी को राजनैतिक गलियारों में मजाक का पात्र बनना पड़ा था और एक बार फिर से बीजेपी ने अपनी हालत धोबी के डेस डेस डेस वाली करवा ली है। ग्रामीण क्षेत्रों में अक्सर आपने ये कहावत जरूर सुनी होगी कि तेरी मां ने खसम किया बहुत बुरा किया और करके छोड़ दिया उससे भी बुरा किया। अब ठीक इसी कहावत की तर्ज पर बीजेपी को हरियाणा की राजनीति में बेचारी के तौर पर देखा जा रहा है। बुधवार का दिन बीजेपी के सबसे बड़ा झटका साबित हुआ, जब गोपाल कांडा ने एक प्रेसवार्ता के माध्यम से साफ कहा कि ना तो उन्होंने बीजेपी से समर्थन लिया और ना ही उन्होंने भाजपा के प्रत्याशी रोहताश जांगडा को हटाने के लिए कहा। कांडा ने साफ कहा कि वो इनेलो और बसपा गठबंधन के सहयोग से चुनाव लड़ रहे हैं, जल्द ही इनेलो प्रमुख ओमप्रकाश चौटाला और बसपा सुप्रीमो मायावती की जनसभा करवाएंगे। कांडा ने सीधे और साफ तौर पर बीजेपी का समर्थन खारिज कर दिया।
गोपाल कांडा के इस बयान के बाद हरियाणा की राजनीति में बीजेपी चौराहे पर आ खड़ी हुई है और अपने प्रत्याशी का नाम वापिस लेने पर उसे चारों ओर से फजीहत का सामना करना पड़ रहा है। संभवतय अब बीजेपी के इस निर्णय पर तमाम सवाल खड़े होंगे , हो सकता है कि पार्टी के भीतर और बाहर इस निर्णय को लेने वाले शख्स की जवाबदेही भी ऊपर तक तय होगी। कुल मिलाकर बीजेपी को अपने इस फैसले पर पछताने के अलावा चुनावों में भी बड़ा नुक्सान झेलने के लिए तैयार रहना होगा। दोस्तों अब बीजेपी के निर्णय और गोपाल कांडा के बयान को आप किस नजरिए से देखते हैं, विधानसभा चुनावों में बीजेपी पर इसका क्या प्रभाव होगा, इस पर अपने विचार जरूर व्यक्त करें।