फरीदाबाद । प्रमुख समाजसेवी और होटल डिलाइट के संस्थापक रामशरण भाटिया अब हमारे बीच नहीं रहे। गैंगरीन से पीड़ित होने के बाद स्वर्गीय रामशरण भाटिया घर पर ही विश्राम कर रहे थे, जहां आज उन्होंने अंतिम सांस ली। वे करीब 80 वर्ष के थे और अपने पीछे दो पुत्र व पौत्र-पौत्रियों का भरा-पूरा परिवार छोड़ गए हैं। आज सायं पटेल चौक स्थित श्मशान घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया गया। उनके अंतिम संस्कार में शहर के अनेक उद्योगपतियों, सामाजिक-धार्मिक संगठनों के पदाधिकारियों, राजनैतिक दलों के नेताओं व अन्य गणमान्य जनों ने भाग लेकर उन्हें अंतिम विदाई दी।
शहर में होटल व्यवसाय के जनक कहे जाने वाले रामशरण भाटिया के निधन से एनआईटी क्षेत्र के वे लोग आज बहुत ही व्यथित होंगे जिनकी स्वर्गीय भाटिया ने कभी न कभी किसी न किसी रूप में मदद की। एनआईटी में अन्य पंजाबियों की तरह ही भारत विभाजन के दौरान रामशरण भाटिया का परिवार भी फरीदाबाद आकर बसा लेकिन बचपन से ही मेहनती रामशरण भाटिया ने विभिन्न कंपनियों में नौकरी करने के बाद अपना कबाड़े का काम शुरू किया। शहर में होटल बनाने वाले रामशरण भाटिया पहले व्यक्ति थे। नीलम बाटा रोड पर स्वर्गीय भाटिया ने डिलाइट होटल बनाया।
असल में रामशरण भाटिया वो पहले शख्स थे, जिन्होंने हरियाणा में सबसे प्रथम तीन सितारा होटल डिलाईट की नींव रखी थी। उनकी दरियादिली को देखकर फरीदाबाद के लोग श्री भाटिया को नगर सेठ कहकर संबोधित करते थे। दरअसल श्री भाटिया ने समाज की सेवा करने में कभी कोई कंजूसी नहीं बरती और धार्मिक कार्यों में भी वो बढ़ चढक़र हिस्सा लेते थे। मंदिर, गुरूद्वारे और स्वर्ग आश्रमों में उन्होंने दिल खोलकर दान दिया, जिसकी वजह से लोग उन्हें नगर सेठ कहा करते थे। गरीब लोगों की मदद करना वो अपना नैतिक कर्तव्य मानते थे। श्री भाटिया के निधन से फरीदाबाद शहर के लोगों को व्यक्तिगत तौर पर क्षति पहुंंची है और शायद ही उनकी ये कमी कभी पूरी हो सकेगी। स्वर्गीय भाटिया की तर्ज पर ही उनके बेटे बंटी भाटिया और सोनू भाटिया भी सामाजिक और धार्मिक कार्यों में हमेशा आगे रहते हैं तथा समाज के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलते हैं। स्वर्गीय रामशरण भाटिया की रस्म पगडडी बुधवार को साढे तीन से पांच बजे तक नीलम बाटा रोड स्थित होटल डिलाईट ग्रांड में आयोजित की गई है।